- Vowels (स्वर) and vowel diacritics
- व्यंजन (consonant)
- हिंदी भाषा का इतिहास
- हिंदी भाषा का विकास (Development of Hindi language)
- हिंदी का वर्गीकरण (Classification of Hindi)
- Hindi alphabet
- हिंदी भाषा की उत्पत्ति (Origin of Hindi language)
- हिंदी का उर्दू से संबंध (Hindi relationship with Urdu)
- हिंदी और उर्दू मे अंतर (Difference between Hindi and Urdu)
- हिंदी और संस्कृत भाषा का संबंध
- हिंदी भाषा कैसे बनी भारत के हृदय की भाषा
- हिंदी की विभिन्न बोलियां तथा उनका साहित्य
- Devanagari alphabet for Hindi
हिंदी एल्फाबेट (Hindi alphabet) हिंदी में एल्फाबेट क्या है, what is alphabet in Hindi? एल्फाबेट ka kya matlab hota hai? एल्फाबेट क्या होता है हिंदी में। एल्फाबेट कैसे लिखते हैं। हिंदी भाषा क्या है हिंदी की उत्पत्ति आदि। ऐसे सभी सवालों के जवाब आपको इस लेख मे मिल जाएंगे।
हिंदी भाषा मुख्य रूप से भारत में बोली जाने वाली भाषा है, इसके अलावा दुनिया भर में लगभग 615 मिलियन लोग हिंदी भाषा बोलते हैं यह एक इंडो-आर्यन भाषा है जिसे भारत के अलावा नेपाल, सिंगापुर और दक्षिण अफ्रीका में भी बोला जाता है। जिनमें से लगभग आधे देसी वक्ता हैं। जो यह भाषा बोलते हैं।
Vowels (स्वर) and vowel diacritics
व्यंजन (consonant)
हिंदी भाषा का इतिहास
हिंदी भाषा वास्तव में फारसी भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है- हिंदी का या हिंद से संबंधित। हिंदी शब्द की उत्पत्ति सिंध- सिंधी से हुई है। ईरानी भाषा में “स” का उच्चारण “ह” किया जाता था। इस प्रकार हिंदी शब्द वास्तव में सिंधु शब्द का प्रतिरुप है। कालांतर में हिंदी शब्द संपूर्ण भारत का पर्याय बनकर उभरा है। इसी “हिंदी” से हिंदी शब्द बना और हिंदी भाषा का आगमन हुआ। Hindi alphabet
आज हम जिस भाषा को हिंदी के रुप में जानते है, वह आधुनिक आर्य भाषाओं में से एक है। आर्य भाषा का प्राचीनतम रूप वैदिक संस्कृत है, जो साहित्य की परिनिष्ठित भाषा थी। वैदिक भाषा में वेद, संहिता एवं उपनिषदों – वेदांत का सृजन हुआ है। वैदिक भाषा के साथ – साथ ही बोलचाल की भाषा संस्कृत थी।
संस्कृत का विकास उत्तरी भारत में बोली जाने वाली वैदिककालीन भाषाओं से माना जाता है। संस्कृत भाषा में ही रामायण तथा महाभारत जैसे ग्रंथ रचे गए थे। वाल्मीकि, व्यास, कालिदास, अश्वघोष, माघ, भवभूति, विशाख, मम्मट, दंडी तथा श्री हर्ष आदि संस्कृत भाषा की महान विभूतियां मानी जाती है। यह साहित्य विश्व के समृद्ध साहित्य में से एक है।
हिंदी भाषा का विकास (Development of Hindi language)
हिंदी भाषा भारतीय गणराज्य की राजकीय और मध्य भारतीय- आर्य भाषा है। सन 2001 की जनगणना के अनुसार, लगभग 25.79 करोड़ भारतीय हिंदी भाषा का उपयोग मातृभाषा के रूप में करते हैं जबकि 42.20 करोड़ लोग हिंदी भाषा की 50 से अधिक बोलियों मे से एक इस्तेमाल करते हैं। सन 1998 के पूर्व, मातृ भाषा बोलने वालों की संख्या की दृष्टि से विश्व मे सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषाओं के आँकड़ों के अनुसार हिंदी भाषा का तीसरा स्थान आता है।
हिंदी का वर्गीकरण (Classification of Hindi)
हिंदी, देवनागरी लिपि में लिखी जाने वाली भाषा है, भारत सरकार की आधिकारिक भाषाओं में हिंदी भी एक भाषा है – भारत सरकार की दूसरी आधिकारिक भाषा अंग्रेजी है। इन दोनों भाषाओं का ही उपयोग संसद में, न्यायपालिका में, केंद्र सरकार और राज्य सरकार के बीच संचार के लिए और अन्य आधिकारिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए किया जाता है। हिंदी भाषा का वर्गीकरण इस प्रकार है। Hindi alphabet
1. रूप या आकृति के आधार पर हिंदी भाषा को वियोगात्मक या विक्ष्लिष्ट भाषा कहा जाता है।
2. हिंदी भाषा के परिवार की बात करें तो भाषा परिवार के आधार पर हिंदी भारोपीय परिवार की भाषा मानी जाती है।
3. हिंदी भाषा विश्व की लगभग 3000 भाषाओं मे से एक भाषा है।
4. हिंदी भारोपीय – ईरानी शाखा के भारतीय आर्य उप शाखा से विकसित एक भाषा है।
5. भारत मे मुख्य रूप से 4 भाषा परिवार माने जाते हैं जिनमे- चीनी-तिब्बती, भारोपीय, द्रविड़ और आस्ट्रिक मिलते हैं। इन सभी परिवारों मे बोली जाने वाली भाषा के आधार पर भारोपीय परिवार सबसे बड़ा भाषा परिवार है।
6. भारतीय आर्य भाषा को तीन कालों में विभक्त किया जाता है।
अगर भारत की बात करें तो हिंदी भाषा उत्तरी भारत में मुख्य रूप से बोली जाती है। उत्तरी भारतीय राज्यों जैसे राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़ झारखंड, बिहार में बोली जाने वाली मुख्य भाषा है। Hindi alphabet
Hindi alphabet
एक रिपोर्ट के अनुसार 2011 में भारत में 612 मिलियन लोग हिंदी भाषी थे तथा नेपाल में 1.3 मिलियन लोग हिंदी भाषा बोलते थे, दक्षिण अफ्रीका में 361,000 हिंदी भाषी (2003 में) थे और सिंगापुर में भी (2017 में) 50,000 हिंदी भाषी थे। ये सभी लोग हिंदी भाषा बोलते थे।
हिंदी दक्षिणी नेपाल के तराई क्षेत्रों में बागमती, जनकपुर और नारायणी क्षेत्रों में बोली जाती है, और यह दक्षिण अफ्रीका के पूर्व में क्वाज़ुलु-नताल प्रांत में बोली जाती है। यहां पर हिंदी भाषा बहुत प्रचलित है।
हिंदी भाषा की उत्पत्ति (Origin of Hindi language)
हिंदी भाषा को पहली बार चोथी शताब्दी ईस्वी के दौरान लिखित रूप में इस्तेमाल किया गया था। इसे मूल रूप से ब्राह्मी लिपि के साथ लिखा गया था लेकिन 11 वीं शताब्दी ईस्वी के बाद से इसे देवनागरी वर्णमाला के साथ लिखा जाने लगा।
हिंदी भाषा में लिखित पहली पुस्तक जॉन गिलक्रिस्ट की हिंदोस्तानियाई भाषा का व्याकरण थी जो 1796 में प्रकाशित हुई थी।
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हिंदी का उर्दू से संबंध (Hindi relationship with Urdu)
उर्दू भाषा मुख्य रूप से पाकिस्तान की भाषा है, लेकिन हिंदी भाषा का उर्दू भाषा से गहरा संबंध है, उर्दू भाषा अरबी लिपि मे लिखी जाती है। भाषाविद मानक हिंदी और मानक उर्दू को खरी बोली से व्युत्पन्न दोनों अलग-अलग औपचारिक रजिस्टर भाषा मानते हैं, जिसे हिंदुस्तानी भी कहा जाता है।
हिंदी और उर्दू मे अंतर (Difference between Hindi and Urdu)
दोनो भाषाओ में लेखन प्रणालियों में अंतर के अलावा, हिंदी और उर्दू के बीच दूसरा मुख्य अंतर यह है कि हिंदी में संस्कृत भाषा से अधिक शब्दावली को लिया गया है, जबकि उर्दू में फारसी भाषा से अधिक शब्दावली को लिया गया है।
अनौपचारिक रूप से बोले जाने के स्तर पर उर्दू और हिंदी के बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर हैं और उन्हें एक ही भाषा की किस्में माना जा सकता है।
हिंदी और संस्कृत भाषा का संबंध
संस्कृत भाषा को ही हिंदी भाषा की आदि जननी कहा जाता है। इसका अर्थ यह है कि हिंदी भाषा मे बोले जाने वाले शब्दों मे लगभग आधे शब्द संस्कृत भाषा से ही लिए गए है।
संस्कृत पालि, प्राकृत भाषा से होती हुई अपभ्रंश तक पहुँचती है। फिर अपभ्रंश अवहट्ट से होती हुई प्राचीन (प्रारंभिक) हिंदी का रूप लेती है। मुख्य रूप से हिंदी भाषा के इतिहास का आरम्भ अपभ्रंश से माना जाता है।
हिंदी भाषा का विकास क्रम – संस्कृत – पालि – प्राकृत – अपभ्रंश – अवहट्ट – प्राचीन (प्रारंम्भिक हिंदी)।
अपभ्रंश भाषा
अपभ्रंश भाषा की उत्पत्ति 500 ई. से लेकर 1000 ई. के बीच हुई थी। इस भाषा में साहित्य का आरंभ 8वी सदी ई. मे हुआ। जो 13वी सदी तक चला। अपभ्रंश शब्द का शाब्दिक अर्थ होता है “पतन” लेकिन अपभ्रंश भाषा साहित्य से अभिष्ट है। और इस भाषा मे साहित्य का बहुत ही महत्व है।
अवहट्ट भाषा
अवहट्ट अपभ्रंश शब्द का ही विकृत रूप होता है। इसे अपभ्रंश का अपभ्रंश या परवर्ती अपभ्रंश भी कह सकते हैं। अवहट्ट अपभ्रंश का काल खंड 900 ई. से लेकर 1100 ई. तक निर्धारित किया जाता है। देखा जाए तो साहित्य मे इसका प्रयोग 14वीं सदी तक रहा है। अब्दुर रहमान, ज्योतिरीक्ष्वर ठाकुर, दामोदर पंडित, विधा पति आदि रचना कारों ने अपनी भाषा को अवहट्ट कहा था।
हिंदी भाषा कैसे बनी भारत के हृदय की भाषा
भारत मे हिंदी का विकास आधुनिक हिंदी भाषा से अधिक हुआ है। आधुनिक हिंदी साहित्य का जनक महान साहित्यकार भारतेंदू हरिश्रचन्द्र जी को कहा जाता है। जब भी आधुनिक हिंदी की बात होती है तब इनकी दो पंक्तियां याद आती हैं।
‘निज भाषा उन्नति रहे, सब उन्नति के मूल।
बिनू निज भाषा ज्ञान के, रहत मूढ़ के मूढ़’।।
महान साहित्यकार भारतेंदू हरिश्रचन्द्र जी के दोहे से ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि उन्हे अपनी भाषा से कितना लगाव था। यदि हिंदी भाषा के विकास की बात करें तो ये कहना गलत नही होगा कि पिछले सौ सालों में हिंदी का बहुत अधिक विकास हुआ है। और समय के साथ- साथ इसमे और अधिक तेजी आती जा रही है। हिंदी भाषा का इतिहास लगभग 1000 वर्ष पुराना माना गया है।
जैसा कि हमने आपको बताया हिंदी को संस्कृत भाषा की ही देन कहा जाता है। भारत में संस्कृत 1500 ई.पू. से 1000 ई. पू. तक अधिक रही फिर ये भाषा दो भागों मे विभाजित हो गई- वैदिक और लौकिक मुख्य रूप से वैदों की रचना जिस भाषा में हुई उसे वैदिक संस्कृत कहा गया जिसमे वैद और उपनिषद का जिक्र किया गया है, जबकि लौकिक संस्कृत में दर्शन दर्शन ग्रथों का जिक्र किया गया है। इस भाषा मे रामायण, महाभारत, नाटक, व्याकरण आदि ग्रंथ लिखे गए हैं।
संस्कृत के बाद पालि भाषा का विकास हुआ तथा इसी भाषा में बौद्ध ग्रंथों की रचना की गई। बौद्ध ग्रंथों में बोलचाल की भाषा का शिष्ट और मानक रूप दिखाई देता है। तथा पालि भाषा के बाद प्राकृत भाषा का विकास हुआ।
हिंदी की विभिन्न बोलियां तथा उनका साहित्य
हिंदी अपने आप मे एक संपूर्ण भाषा हैं यहां तक की हिंदी की नेक बोलियाँ यानी उप भाषाएं भी हैं, भारत में कुल 18 बोलियाँ हैं, जिनमे अवधी, ब्रजभाषा, कन्नौज, बुंदेली, बघेली, हड़ौती, भोजपुरी, हरयाणवी, राजस्थानी, छत्तीसगढ़ी, मालवी, नागपुरी, खोरठा, पंचपरगनिया, कुमाँउगी, मगही आदि प्रमुख भाषाएं है। इनमें से कुछ में अत्यंत उच्च श्रेणी के साहित्य की रचना हुई है।
ऐसी बोलियों में ब्रज भाषा और अवधी प्रमुख हैं। यह बोलियाँ हिंदी की विविधता हैं और उसकी शक्ति भी। वे हिंदी की जड़ों को गहरा बनाती हैं। हिंदी की बोलियाँ और उन बोलियों की उप बोलियाँ हैं जो न केवल अपने में एक बड़ी परंपरा,, इतिहास, सभ्यता को समेटे हुए हैं स्वतंत्रता संग्राम, जनसंघर्ष, वर्तमान के बाजारवाद के खिलाफ भी उसका रचना संसार सचेत है।
पश्चिमी और पूर्वी हिंदी
जैसा उपर बताया गया है, अपने सीमित भाषा शास्त्रीय अर्थ में हिंदी के दो उप रूप माने जाते हैं- पश्चिमी हिंदी और पूर्वी हिंदी।
पश्चिमी हिंदी-
पश्चिमी हिंदी का विकास शौरसैनी अपभ्रंश से हुआ है। इसके अंतर्गत पाँच बोलियाँ हैं- खड़ी बोली, हरियाणी, ब्रज, कन्नौजी और बुदेंली। खड़ी बोली अपने मूल रूप में मेरठ, रामपुर, मुराबाद, सहारनपुर, मुज़फ़्फरनगर, बिजनौर, बागपत के आसपास बोली जाती है। इसी के आधार पर आधुनिक हिंदी और ऊर्दू का रुप खड़ा हुआ। बांगरु को जाटू या हरियाणी भी कहते हैं। यह पंजाब के दक्षिण पूर्व में बोली जाती है। कुछ विध्दानों के अनुसार बांगरु खड़ी बोली का ही एक रुप है। जिसमे पंजाबी और राजस्थानी का मिश्रण है। ब्रजभाषा मथुरा के आसपास ब्रजमंडल में बोली जाती है।
पूर्वी हिंदी
पूर्वी हिंदी की तीन शाखाएँ हैं- अवधी, बघेली और छत्तीसगढ़ी। अवधी अर्धमागधी प्राकृत की परंपरा में है। यह अवध में बोली जाती है। इसके दो भेद हैं- पूर्वी अवधी और पश्चिमी अवधी। अवधी को बैसवाड़ी भी कहते हैं तुलसी के रामचरित मानस में अधिकांशत: पश्चिमी अवधी मिलती हैं। और जायसी के पदमावत में पूर्वी अवधी। बघेली बघेलखंड में प्रचलित है। यह अवधी का ही एक ही एक दक्षिणी रूप है।
छत्तीसगढ़ी पलामू की सीमा से लेकर दक्षिणी में बस्तर तक और पक्ष्चिमी में बघेलखंड की सीमा से उड़ीसा की सीमा तक फैले हुए भू भाग की बोली है। इसमें प्राचीन साहित्य नहीं मिलता। वर्तमान काल में कुछ लोक साहित्य रचा गया है।
हिंदी प्रदेश की तीन उप भाषाएँ और हैं बिहारी, राजस्थानी और पहाड़ी हिंदी। बिहारी की तीन शाखाएँ हैं- भोजपुरी, मगही और मैथिली।
Devanagari alphabet for Hindi
हिंदी भाषा देवनागरी लीपी मे लिखी जाती है जिसमे स्वर और व्यंजन होते हैं। जिन्हे एल्फाबेट कहते हैं इनकी जानकारी हम आपको नीचे दे रहे हैं।
हिंदी भाषा के उदाहरण
भारत एक लोकतांत्रिक देश है। यहां सभी मनुष्यों को अपनी इच्छानुसार जीने का और अपने धर्म को मानने का अधिकार प्राप्त है। सभी मनुष्यों के मौलिक अधिकारों के साथ मौलिक कर्तव्य भी होते हैं जिनका हमे पालन करना चाहिए।
Reference-
11 November 2020, Hindi Alphabet, wikipedia