खूबसरती को हमने अक्सर भटकते हुए देखा है
हां, मैंने इन अल्फाजों में कश्मीर को लिखा है…
कश्मीर, धरती का स्वर्ग…अक्सर जब कभी कश्मीर का जिक्र आता है तो वादियों से सराबोर जन्नत के वो सभी किस्से जहन में ताजा हो जाते हैं, जो हम हमेशा से सुनते आए हैं। बर्फ की चादर ओढ़े आसमान छूते पहाड़, बादलों से ढ़के शिखर, तो उन पहाड़ों के बीच से कल-कल बहती नदियां, ये तस्वीर तो अमूमन हर पहाड़ों की पहचान होती है लेकिन कहते हैं कि हिमालय की गोद में बसे कश्मीर को कुदरत ने खुद अपने करिशमे से नवाजा है। वैसे तो कश्मीर की खूबसूरती को पन्नों में बयां करना नामुमकिन सा है, मगर वादियों की शहजादी कश्मीर की दास्तां अल्फाजों में ही सही लेकिन दिल पर दस्तक दे जाती है।
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Kashmir का जिक्र
कश्मीर शब्द संस्कृत भाषा के शब्द कश्मीरा से निकला है। नीलपुराण के अनुसार कश्मीर का जन्म सती-सरस नाम की झील से हुआ है। हालांकि भौगोलिक साक्ष्यों ने भी पानी से कश्मीर के उद्गम को स्वीकार किया है।
वैदिक ग्रथों के अनुसार कश्मीर ऋषि कश्यप का निवास स्थान था, जहां उन्होंने लोगों को बसाया था। इसके अलावा कश्मीर का जिक्र महाभारत में भी मिलता है वहीं पुराणों में मत्सय पुराण, वायु पुराण, पद्म पुराण, विष्णु पुराण और विष्णुधर्मोत्तरा पुराण में भी कश्मीर का जिक्र मौजूद है। इन तथ्यों से जाहिर होता है कि न सिर्फ सदियों से कश्मीर का वजूद कायम रहा है बल्कि इसने हर युग में लोगों के दिलों पर राज किया है।
इतिहास के पन्नों में Kashmir
प्राचीन काल से ही राज्यों पर जीत हासिल करने की परंपरा चली आ रहा है। महान सम्राट सिंकदर से लेकर मोहम्मद गोरी और अंग्रेजों के भारत आगमन तक, राज्यों पर अख्तियार करने की परंपरा सदियों पुरानी है। जाहिर है ऐसे में धरती के स्वर्ग को भला कौन अपने राज्य का हिस्सा बनाने की ख्वाहिश नहीं रखता होगा।
इसी कड़ी में कश्मीर की सरजमीं कई राजवंशों के शासन की गवाह रह चुकी है। यह कहना भी गलत नहीं होगा कि कश्मीर हिंदुस्तान के सभी बड़े साम्राज्यों का हिस्सा रहा है। प्राचीन काल में सम्राट अशोक से लेकर हर्षवर्धन तक के शासन के साक्ष्य कश्मीर से मिलते हैं।
वहीं मध्यकाल में शाह मीर वंश कश्मीर पर शासन करने वाला पहला मुसलिम वंश था। इसके बाद मुगल बादशाह अकबर कश्मीर की खूबसूरती के कायल हो गए और उन्होंने कश्मीर पर अख्तियार कर लिया। कहा जाता है कि मुगल साम्राज्य कश्मीर का स्वर्ण काल था। इस दौरान कश्मीर में कई मुगलिया इमारतें बनवायी गईं, जिनमें डल झील के किनारे बना मुगल गार्डन का नाम भी शुमार है। कहते हैं कि मुगल बादशाह शाहजहां ने जब पहली बार कश्मीर का दीदार किया तो वो खुद को यह कहने से रोक न सके कि-
अगर धरती पर कहीं जन्नत है, तो बस
यहीं है…यहीं है….यहीं है….
बाद में कश्मीर पर अफगानिस्तान से ताल्लुक रखने वाले दुर्रानी वंश और फिर राजा रंजीत सिंह के नेतृत्व में सिखों ने कश्मीर को अपने राज्य का हिस्सा बनाया।
आखिरकार भारत की बागडोर ब्रिटिश हुकुमत के अंदर आ गयी और कश्मीर महाराजा गुलाब सिंह की रियासत बन गयी। 1947 में देश की आजादी के बाद कुछ खास शर्तों (अनुच्छेद 370) के तहत कश्मीर हिंदुस्तान का राज्य था। हालंकि इन शर्तों को केंद्र सरकार द्वारा अगस्त 2019 में निरस्त कर दिया गया। इसी के साथ जम्मू कश्मीर को देश का 9वां केंद्र शासित प्रदेश घोषित कर दिया गया।
Kashmir: स्वर्ग की सैर
कश्मीर किसी एतिहासिक धरोहर से कहीं ज्यादा प्रकृति की धरोहर है। कश्मीर की वादियों में कुदरत के कई अनोखे करिशमें देखने को मिलते हैं, जिनका लुत्फ उठाने के लिए देश-विदेश से पयर्टक यहां खिंचे चले आते हैं। कुदरत के करिशमें के साथ मौसम के मिजाज का अद्भुत समागम सिर्फ कश्मीर की धरती पर ही देखने को मिल सकता है। गर्मियों में यहां की पहाड़ियां रंग-बरंगे फूलों से से ढ़क जाती हैं तो सर्दियों के दस्तक देते ही यही पहाड़ियां बर्फ की चादर ओढ़ लेती हैं।
ऐसे में क्या गर्मी और क्या सर्दी? यहां की वादियों की तस्वीर मौसम की करवट के साथ बदलती रहती है। नतीजतन कश्मीर की सरजमीं पर कदम रखते ही हर ऋतु अपने आप में बेहद खास बन जाती है। तो आइए चलते हैं धरती का स्वर्ग कहे जाने वाले कश्मीर की सैर पर…
श्रीनगर – Srinagar
तुम हो डल झील सी
मैं तैरता शिकारा
इस झील की गहराई में
सारा कश्मीर हमारा….
वादियों की शहजादी कश्मीर जब इतनी खूबसूरत हो तो उसकी राजधानी नूर के इस हुनर से भला कैसे अछूती रह सकती है। झेलम नदी के किनारे बसा ये छोटा सा शहर महज राजधानी नहीं बल्कि कश्मीर की जान है। आसमान चूमते पहाड़ और झीलों से गुलजार इस शहर का मिजाज अपने आप में बेहद खास है।
श्रीनगर में एक तरफ डल झील शिकारा करने के लिए जानी जाती है तो दूसरी तरफ मुगल काल में बना शालीमार गार्डन आज भी श्रीनगर की खूबसूरती में चार चांद लगा देता है।
राष्ट्रीय राजमार्ग 44 श्रीनगर को समूचे देश से जोड़ता है। वहीं बनिहाल रेल के रास्ते श्रीनगर पहुंचने में मदद करता है।
पहलगाम – Pahalgam
पहलगाम कश्मीर का एक और मशहूर टूरिस्ट स्पॉट है। घाटी के अंनतनाग जिले में स्थित पहलगाम एक खूबसूरत हिल स्टेशन भी है। जो कई वजहों के चलते पयर्टकों के बीच खासा मशहूर है। अमरनाथ यात्रा की शुरुआत यहीं से होती है तो पूरे कश्मीर में पाइन के खूबसूरत जंगलों का दीदार भी पहलगाम में ही होता है।
जुलाई और अगस्त के महीने में पहलगाम से महज 16 किलोमीटर की दूरी पर स्थित चंदनवाणी से अमरनाथ यात्रा की शुरुआत होती है, जहां बाबा अमरनाथ के दर्शन करने के लिए बड़ी तादाद में भक्तों की भीड़ लगती है।
वहीं महज 5 किलोमीटर पर स्थित बाईसरन में पयर्टक पाइन के जंगलों का लुत्फ उठाने जाते हैं। इन जंगलों के एक सिरे से तुलाइन झील का नजारा सीधा पयर्टकों के दिल पर दस्तक देता है।
यहीं थोड़ी दूर पर स्थित शेषनाग झील हिंदू धर्म के लोगों के लिए खासा महत्व रखती है। मान्यता है कि इस झील का निर्माण खुद भगवान शेषनाग ने किया था और इस झील का पानी अमरनाथ की गुफाओं से आता है। वहीं पहलागाम से 40 किलोमीटर पर पांच नदियों का मिलन होता है, जिसके कारण इस जगह को पंचतारणी कहा जाता है।
इसके अलावा पहलगाम से महज 11 किलोमीटर पर स्थित अरु नाम का स्थान अपने आप में कुदरत का अनोखा करिशमा है। 27 किलोमीटर पहले गुर कुंभ में गायब हुई लिद्दर नदी अरु में फिर से दिखाई देने लगती है, जिसका नजारा बेहद मनमोहक होता है।
पहलगाम से 22 किलोमीटर पर स्थित लिद्दरवॉट की सिंध घाटी ट्रैकिंग के लिए खूब मशहूर है। वहीं तारसार झील और कोलोही ग्लेशियर का लुत्फ उठाने के लिए यहां हर साल भारी सख्यां में सैलानियों का जमावड़ा लगता है।
गुलमर्ग – Gulmarg
कश्मीर की वादियों का बेहद खूबसूरत पड़ाव है गुलमर्ग। कश्मीर की राजधानी श्रीनगर से महज 56 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुलमर्ग की घाटी लगभग 1 किलोमीटर चौड़ी है। मगर, इतनी छोटी सी जगह भी जहन में जान फूंकने का काम करती है। गुलमर्ग को 16वीं शताब्दी में सुल्तान युसुफ खान से खोजा था। वहीं मुगल बादशाह जहांगीर की ये सबसे पसंदीदा जगह थी।
गर्मियों में फूलों से लहलहाने वाली गुलमर्ग की घाटी सर्दियों में बर्फ से ढ़क जाती है। इसीलिए स्कींग (Skiing) के लिए यह कश्मीर जाने वालों पयर्टकों की पहली पसंद है। बर्फ पर तरह-तरह के करतब करने के शौकीन लोगों के लिए गुलमर्ग सबसे बेहतरीन जगह साबित हो सकती है। इसके अलावा गुलमर्ग से महज 9 किलोमीटर पर स्थित बोटा पथरी ट्रैकिंग (Traking) के लिए खासा मशहूर है।
गुलमर्ग की वादियों का लुत्फ उठाने के लिए दिसबंर से मार्च का महीना सबसे बेहतर होता है। यह वही समय होता है जब समूची घाटी बर्फ में ढकी होती है और देश-विदेश से आए पयर्टक इसका भरपूर मजा उठाते हैं। इस दौरान गुलमर्ग में स्थित होटलों का किराया लगभग 1500 रुपए से 6500 रुपए तक होता है। हालांकि बाकी महीनों में इन होटलो का किराया कम होता है लेकिन सर्दियों में पयर्टकों की भारी तादाद के चलते किराया बढ़ा दिया जाता है।
सोनमर्ग – Sonmarg
सोनमर्ग, कश्मीर घाटी का एक और शानदार पड़ाव। हिमालय में ग्लेशियर्स का अनुभव लेने के लिए सोनमर्ग सबसे बेहतरीन जगहों में से एक है। लेकिन यह घाटी खास किसी और वजह से है।
दरअसल सोनमर्ग का नाम ही इसकी खूबसूरती का सबसे बड़ा राज है, जो कश्मीर आने वाले सभी पयर्टकों को सोनमर्ग का दीदार करने को मजबूर कर देता है। बर्फ की चादरों से ढ़की सोनमर्ग के पहाड़ों की चोटी सूरज की पहली किरण के साथ सोने सी चमकती है। ऐसे में जाहिर है ये अद्भुत नजारा किसी के भी दिल को छू जाता है।
कुदरत का ये नायाब करिशमा पूरे कश्मीर में सिर्फ यहीं देखने को मिलता है। सूरज की रोशनी जब पहाड़ों के शिखर पर पड़ी बर्फ पर पड़ती तो हिमालय की चोटियां सोनी सी चमचमाने लगती है। ऐसे में जाहिर है पयर्टकों के लिए यह अद्भुत नजारा उनकी जिंदगी के यादगार लम्हों में हमेशा के लिए शामिल हो जाता है।
लोलाब घाटी – Lolab Valley
कश्मीर में लोलाब घाटी को वादि-ए-लोलाब कहा जाता है। आम कश्मीरी इस घाटी को खूबसूरती और मोहब्बत का समागम मानते हैं। वहीं पयर्टक लोलाब घाटी में फलों से लदे पेड़ों और ऑर्केड के फूलों से लहलहाते नजारों का दीदार करने के लिए यहां पहुंचते हैं। इसके अलावा लोलाब घाटी झीलों और फुहव्वारों के लिए खासी मशहूर है। श्रीनगर से लोलाब ज्यादा दूर नहीं है। इसलिए यहां टैक्सी या बस की सहायता से आसानी से पहुंचा जा सकता है।
वेरीनाग – Verinag
वेरीनाग हिमालय की पीर पंजाल श्रेणी में स्थित श्रीनगर से महज 78 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अंनतनाग जिले का मशहूर टूरिस्ट स्पॉट है। जवाहर टनल से बाहर कदम रखने के साथ ही कश्मीर की वादियों के खूबसूरत नजारों की शुरुआत वेरीनाग से ही होती है। ऐसे में जाहिर है पयर्टकों के जहन में दीदार-ए-कश्मीर के सफर का आगाज भी यहीं से होता है।