- योगी आदित्यनाथ का शुरुआती जीवन – yogi adityanath biography
- राम मंदिर आंदोलन से जुड़े योगी आदित्यनाथ
- योगी बने आदित्यनाथ
- योगी आदित्यनाथ का आध्यात्म से लगाव
- योगी आदित्यनाथ का राजनीति जीवन (yogi adityanath political career)
- योगी आदित्यनाथ ने रखी हिन्दू युवा वाहिनी की नींव(yogi adityanath hindu yuva vahini)
- लोकसभा सासंद के रूप में योगी आदित्यनाथ(yogi adityanath mla)
- योगी आदित्यनाथ और बीजेपी (yogi adityanath bjp)
- उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
- उत्तर प्रदेश से उत्तम प्रदेश तक (yogi adityanath up cm)
- कोरोना महामारी के समय योगी सरकार
कहते हैं कि दिल्ली की सत्ता का रास्ता यूपी से होकर जाता है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र का सबसे बड़ा सूबा होने के नाते यूपी की गद्दी भी देश के लिए खासी मायने रखती है। इसी कड़ी में साल 2017 में यूपी में विधानसभा चुनावों का शंखनाद हुआ तो जनता ने एक बार फिर मोदी के नाम पर मुहर लगाई।
वहीं चुनावीं नतीजों के साथ यूपी के अगले मुख्यमंत्री के नाम पर सस्पेंस बरकरार था। ऐसे मेंबीजेपी ने जिस शख्सियत को सूबे की कमान सैंपी उनका नाम पार्टी के फायर ब्रांड नेताओं की फेहरिस्त में शुमार था और गोरखनाथ मठ के महंत से लेकर लगातार पांच बार गोरखपुर से सासंद चुने जाने वालीउस शख्सियत का नाम था- योगी आदित्यनाथ (yogi adityanath biography)
नाम | अजय मोहन बिष्ट (योगी आदित्यनाथ) |
जन्म तिथि | 5 जून 1972 |
जन्म स्थान | पौड़ी गढ़वाल, उत्तराखंड |
आयु | 48 |
माता | सावित्री देवी |
पिता | स्वर्गीय आनन्द सिंह बिष्ट |
राजनीतिक पार्टी | भारतीय जनता पार्टी (BJP) |
योगी आदित्यनाथ का शुरुआती जीवन – yogi adityanath biography
योगी आदित्यनाथ का पूरा नाम अजय मोहन बिष्ट (yogi adityanath cast) है। उनका जन्म 5 जून 1972 को तात्कालीन उत्तर प्रदेश के पौड़ी गढ़वाल जिले में हुआ था। पौड़ी गढ़वाल वर्तमान में उत्तराखंड राज्य का हिस्सा है। योगी आदित्यनाथ के स्वर्गीय पिता आनन्द सिंह बिष्ट फॉरेस्ट रेंजर थे, वहीं उनकी माता गृहणी थीं। चार भाईयों और तीन बहनों (yogi adityanath family) के बीच योगी अपने माता-पिता की दूसरी संतान थे।
योगी ने अपनी शुरूआती शिक्षा(yogi adityanath education) पूरी करने के बाद उत्तराखंड स्थित हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय से गणित में स्नातक की डिग्री हासिल की।
राम मंदिर आंदोलन से जुड़े योगी आदित्यनाथ

90 के दशक की शुरूआत भारतीय राजनीति के लिए अस्थिरता का आरंभ था। इस दौरान प्रधानमंत्री राजीव गांधी की चुनावी रैली के दौरान हत्या और केंद्र में कांग्रेस की वापसी के चलते सत्ता के गलियारों में सरगर्मी तेज हो चली थी। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के फायर ब्रांड नेता लाल कृष्ण अडवाणी ने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का बिगुल फूंक दिया।
राम मंदिर निर्माण के लिए कार सेवकों की यात्रा समूचे देश में सूर्खियों बटोरने लगी थी। वहीं राजनीति से अछूते योगी आदित्यनाथ भी अपना घर छोड़ कर इस यात्रा का हिस्सा बन गए।
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योगी बने आदित्यनाथ

राम मंदिर आंदोलन की सरगर्मियों में नरमी पड़ने के बाद योगी ने आध्यात्म का रूख किया और महज कुछ ही समय में योगी गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मठ के महंत बन गए।
इसी दौरान उन्होंने नाथ परंपरा के सन्यायी की दिक्षा ग्रहण की, जिसके बाद उन्हें योगी की उपाधि से सम्मानित किया गया और आदित्यनाथ अब योगी आदित्यनाथ के नाम से मशहूर हो गए। वहीं योगी आदित्यनाथ को गोरखनाथ मठ के मुख्य महंत अद्वैतनाथ (yogi adityanath guru) का उत्तराधिकारी भी नियुक्त कर दिया गया।
योगी आदित्यनाथ का आध्यात्म से लगाव

योगी आदित्यनाथ ने राम मंदिर आंदोलन का हिस्सा बनने के बाद महज 21 साल की उम्र में ही 1993 में अपना घर-परिवार छोड़ दिया। जिसके बाद योगी का अध्यात्म की लगाव बढ़ता गया और फिर उन्होंने गोरखपुर स्थित गोरखनाथ मठ में शरण ली।
इस दौरान योगी मठ के मुख्य महंत अद्वैतनाथके (yogi adityanath and mahantadvaitnath) शाहगिर्द बन गए और12 सितंबर 2014 के दिन महंत की मृत्यु के बाद योगी आदित्यनाथ को मठ का मुख्य महंत बना दिया गया। लिहाजा 14 सितंबर 2014 को पूरे रीति-रिवाज के साथ योगी को मठ के पीठाधिश्वर की उपाधि प्रदान की गयी।
योगी आदित्यनाथ का राजनीति जीवन (yogi adityanath political career)

अमूमन योगी आदित्यनाथ मठ के महंत बनने के बाद से ही सियासत के साये में आ गए थे, लेकिन अभी भी औपचारिक रूप से योगी राजनीति से रूबरू नहीं हुए थे।
दरअसल योगी के गुरु महंत अद्वैतनाथ 1991 में भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गए और 1994 में गोरखनाथ मठ का दारोमार संभालने के बाद योगी ने भी राजनीति में एंट्री करने का फैसला किया।
महज चार सालों बाद 1998 में बीजेपी केंद्र में आई और प्रधानमंत्री बने अटल बिहारी वाजपेयी। इस दौरान योगी आदित्यनाथ गोरखपुर सीट(yogi adityanath constituency) से संसदीय चुनाव जीत कर पहली बार ससंद के सदन में पहुंचे।
योगी आदित्यनाथ ने रखी हिन्दू युवा वाहिनी की नींव(yogi adityanath hindu yuva vahini)

गोरखपुर से सासंद चुने जाने बाद योगी ने हिन्दू युवा वाहिनी के नाम से एक यूथ विंग की शुरुआत की। योगी की अगुवाई में यह विंग पूर्वी उत्तर प्रदेश की कई राजनीतिक गतिविधियों में हिस्सा लेने लगी। इसी के साथ कुछ ही समय में योगी आदित्यनाथ का नाम बीजेपी के फायर ब्रांड नेताओं की फेहरिस्त में शुमार हो गया।
वहीं योगी माओवाद और आतंकवाद के खिलाफ हमेशा से मुखर रहे। यही वजह थी कि साल 2008 में आजमगढ़ में आतंकवाद के खिलाफ एक रैली में शिरकत करने पहुंचे योगी के काफिले पर अचानक एक जानलेवा हमला हुआ। इस हमले में जहां एक लोग की मौत हो गई वहीं 7 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।
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लोकसभा सासंद के रूप में योगी आदित्यनाथ(yogi adityanath mla)

योगी आदित्यनाथ पहली बार साल 1998 में गोरखपुर सीट (yogi adityanath gorakhpur) से बतौर सासंद संसद के सदन पहुंचे। इसी के साथ योगी महज 26 साल की उम्र में सासंद बनने वाले युवा सासंदों की लिस्ट में शामिल हो गए।
हालांकि इसके बाद योगी ने जो रिकॉर्ड अपने नाम किया वो किसी भी राजनेता के जीवन की अहम उपल्बिधियों में से एक है। दरअसल पहली बार सासंद चुने जाने के बाद योगी आदित्यनाथ लगातार पांच बार गोरखपुर से सासंद चुने गए। योगी ने 1998, 1999, 2004, 2009, 2014 में लगातार पांच बार गोरखपुर सीट (yogi adityanath vidhan sabha constituency) से सासंदीय चुनाव जीता।
बतौर सासंद योगीअपने संसदीय क्षेत्र से लेकर संसद के सदन तक खासे एक्टिव रहते थे। आंकड़ों के अनुसार संसद में जहां योगी की हाजिरी 77 फीसदी रही तो वहीं इस दौरान उन्होंने 284 सवाल पूछे, 56 बहसों का हिस्सा रहे और साथ ही उन्होंने 16वीं लोकसभा में तीन निजी बिल भी सदन के पटल पर पेश किए।
योगी आदित्यनाथ और बीजेपी (yogi adityanath bjp)

हिन्दू युवा वाहिनी और गोरखनाथ मठ के प्रमुख के तौर पर योगी आदित्यनाथ पूर्वी उत्तर प्रदेश की जानी पहचानी हस्ती बन चुके थे। हालांकि लगभग एक दशक से भी ज्यादा समय तक योगी की बीजेपी और RSS के साथ रिश्तों में तल्खी रही। बावजूद इसके योगी आदित्यनाथ बीजेपी के फायर ब्रांड नेता के रूप में मशहूर रहे।
हिन्दुत्व स्टार प्रचारक की छवि रखने वाले योगी आदित्यनाथ अकसर अपने बयानों के चलते विवादों में रहते थे। यही कारण था कि बीजेपी(yogi adityanathbjp) और RSS(yogi adityanathrss) से उनके रिश्ते भी अच्छे नहीं थे। बावजूद इसके तात्कालीन उप प्रधानमंत्री लाल कृष्ण अडवाणी और RSS प्रमुख राजेन्द्र सिंह ने कई बार योगी से गोरखपुर में मुलाकातें की।
इसका एक उदाहरण उस समय देखने को मिला जब साल 2006 में 22 से 24 दिसंबर कर योगी ने गोरखपुर में तीन दिवसीय विराट हिन्दू महासम्मेलन का आयोजन किया। यह वही समय था जब पार्टी मीटिंग के लिए बीजेपी और RSS के कई दिग्गज नेता लखनऊ में मौजूद थे।ऐसे में जाहिर है योगी से बेहतर रिश्ते न होने के बावजूद कई बीजेपी नेताओं और RSS नुमाइंदों ने इस सम्मेलन में शिरकत की।
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ
2017 में देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों का एलान किया गया। इस दौरान योगी बीजेपी के स्टार प्रचारक थे। इन चुनावों में बीजेपी ने एतिहासिक बहुमत दर्ज कराया। जिसके बाद बीजेपी नेतृत्व ने योगी को सूबे की कमान सौंपने का फेसला किया।
लिहाजा 19 मार्च 2017 को योगी आदित्यनाथ ने बतौर मुख्यमंत्री शपथ ग्रहण कर देश के सबसे बड़े सूबे का दारोमदार संभाला।
उत्तर प्रदेश से उत्तम प्रदेश तक (yogi adityanath up cm)
मुख्यमंत्री के रूप में राज्य की सत्ता पर काबिज होने के बाद योगी ने यूपी का कायाकल्प करना शुरू कर दिया। इस दौरान योगी ने उत्तर प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने का संकल्प लिया।
जिसकी ओर पहला कदम बढ़ाते हुए योगी ने कृषि, राजस्व, खाद्य, कानून, गृह जैसे अहम मंत्रालयों सहित 36 मंत्रालय अपने पास रखने का फैसला लिया।
इसके अलावा योगी द्वारा राज्य में तम्बाकू, पान मसाला पर बैन लगाना, एंटी रोमियो स्कवॉड, गौ हत्या पर बैन सहित कई महत्वपूर्ण कदम न सिर्फ सियासी गलियारों में बल्कि समूचे देश में चर्चा का विषय बन गए।
वहीं बतौर मुख्यमंत्री मंत्रीमंडल की पहली बैठक में ही योगी ने चौंकाने वाला फैसला लेते हुए लगभग 87 लाख छोटे और मध्यम किसानों के लिए लगभग 363.59 बिलियन की कर्ज माफी का एलान कर दिया।
इसके साथ ही योगी के नेतृत्व में राज्य सरकार के नुमाइंदों सहित जनता ने प्रधानमंत्री मोदी की महत्वाकांक्षी योजना स्वच्छ भारत मिशन को साकार बनाने में अहम भूमिका निभाई।
जुलाई 2018 में योगी आदित्यनाथ के साथ पीएम मोदी और उत्तर कोरिया के राष्ट्रपति मून जाई इन ने यूपी के नोएडा में दुनिया की सबसे बड़ी मोबाइल फैक्ट्री की नींव रखी। जिसके बाद यूपी सरकार ने सैमसैंग मोबाइल फोन के इस प्लांट के लिए महज चार महीनों 50 मेगावाट पावर और 22 किलोमीटर लंबी बिजली का कनेक्शन मुहैया कराया।
कोरोना महामारी के समय योगी सरकार
यूपी को उत्तम प्रदेश बनाने की जद्दोजहद में जुटे योगी के सामने कोरोना वायरस महामारी के रूप में सबसे बड़ी चुनौती ने दस्तक दी। नतीजतन देश की सबसे बड़ी आबादी वाले सूबे में प्रवासी मजदूरों की घर वापसी योगी सरकार के लिए संकट की घड़ी थी।
ऐसे में योगी सरकार ने न सिर्फ महामारी के दौरान राज्य के हालातों को बखूबी संभाला बल्कि आत्मनिर्भर भारत के रूप में पीएम मोदी की हुंकार को भी अमली जामा पहनाने का पूरा प्रयास किया। विश्व स्वास्थय संगठन(yogi adityanath who) नेभी अपनी नवंबर 2020 का रिपोर्ट में कोरोना महामारी के दौरान योगी सरकार के प्रयायों की जमकर सराहना की।
Reference-
24 December 2020, yogi adityanath biography, wikipedia