भजन: उठ जाग मुसाफिर भोर भई | Bhajan: Uth Jag Musafir Bhor Bhai | Hindi Devotional Song

भजन: उठ जाग मुसाफिर भोर भई | Bhajan: Uth Jag Musafir Bhor Bhai

Uth Jag Musafir Bhor Bhai
Uth Jag Musafir Bhor Bhai

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उठ जाग मुसाफिर भोर भई,
अब रैन कहाँ जो सोवत है।
जो सोवत है सो खोवत है,
जो जागत है सोई पावत है॥

उठ नींद से अखियाँ खोल जरा,
और अपने प्रभु में ध्यान लगा।
यह प्रीत करन की रीत नहीं,
प्रभु जागत है तू सोवत है॥
॥ उठ जाग मुसाफिर भोर भई…॥

जो कल करना सो आज कर ले,
जो आज करे सो अब कर ले।
जब चिड़िया ने चुग खेत लिया,
फिर पछताए क्या होवत है॥
॥ उठ जाग मुसाफिर भोर भई…॥

नादान भुगत अपनी करनी,
ऐ पापी पाप में चैन कहाँ।
जब पाप की गठड़ी शीश धरी,
अब शीश पकड़ क्यूँ रोवत है॥

उठ जाग मुसाफिर भोर भई,
अब रैन कहाँ जो सोवत है।


जो सोवत है सो खोवत है,
जो जगत है सोई पावत है॥

उठ जाग मुसाफिर भोर भई अब रैन कहा जो सोवत है : सत्संगी भजन :Uth Jaag Musafir Bhor Bhai

Uth Jag Musafir Bhor Bhai

मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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