Two Brahmin Brothers – Vikram betal story in hindi
बेताल पेड़ की शाखा से प्रसन्नतापूर्वक लटका हुआ था, तभी विक्रमादित्य ने वहां पहुंचकर उसे पेड़ से उतारा और अपने कंधे पर डाल कर चल दिए।
आकाश नितेश थोड़े-थोड़े बादल छटने लगे और बादलों से तारे दिखने लगे थे। बेताल ने गहरी सांस लेकर राजा से कहा, “ तुम हार नहीं मानते हो… है ना…?” राजा मुस्कुराया और बेताल ने अपनी कहानी शुरू की।

पाटलिपुत्र में कभी एक बहुत ही विद्वान ब्राह्मण रहता था। वह बहुत ही विनम्र और धार्मिक था। उसके 2 पुत्र थे। दोनों ही अपने पिता की तरह विनम्र थे। उनमें जन्मजात अद्भुत गुण थे।
बड़े पुत्र में लोगों का चरित्र पहचानने की शक्ति थी। ऐसा करके लोगों को दूसरों के इरादे पहले से ही बता कर सावधान कर देता था। छोटा पुत्र सूंघकर ही पहचान लिया करता था।
धीरे-धीरे ब्राह्मण के दोनों पुत्रों की ख्याति चारों तरफ फैल गई और राजा के कानों तक भी पहुंची। राजा ने उन्हें बुलाकर अपने यहां विशेष सलाहकार के रूप में रख लिया।
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दोनों भाई राजा को निर्णय लेने में मदद करने लगे। राधा जब राजनयिक वार्ताओं के लिए दूसरे राज्य में जाते थे, तो दोनों ब्राह्मण पुत्र भी आ जाया करते थे।
1 दिन राजा इसी प्रकार की यात्रा पर दूसरे राज्य गए हुए थे। वहां उनका भव्य स्वागत हुआ। राजा के सम्मान मैं उत्सव जैसा माहौल था और कई रंगारंग कार्यक्रम भी आयोजित किए गए थे।
राजा और साथ गए लोगों ने भोजवा कार्यक्रम का खूब आनंद उठाया। राजा बहुत थक गए थे। आराम करने के लिए राजकीय अतिथि गृह में गए। वह भी खूब सजा हुआ था। राजा ने दोनों भाइयों के साथ आरामग्रह में प्रवेश किया। प्रवेश करते ही बड़े भाई को दाल में कुछ काला लगा। उसने कहा, “ महाराज, मुझे इस राज्य के राजा पर विश्वास नहीं है। वह आपसे ईर्ष्या करता है और आप को मारना चाहता है।”
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उसकी बात सुनकर आश्चर्यचकित होते हुए राजा ने कहा, “ क्या बकवास कर रहे हो, उसने हमारी सुख सुविधा का इतना ख्याल रखता है और तुम्हें लगता है कि वह हमें नुकसान पहुंचाने की योजना बना रहे हैं। मुझे लगता है बहुत ज्यादा खाना खाने से तुम्हारा दिमाग काम नहीं कर रहा है”।
यह कहकर राजा बिस्तर पर बैठकर तकिया उठाने के लिए थोड़ा झुके… तभी बड़े भाई ने उनकी कलाई पकड़ ली।
“ मुझे क्षमा करें महाराज, पर मुझे कुछ गड़बड़ लग रही है उस तकिए पर लेटने से पहले आप उसकी जांच जरूर करवा लें”।
राजा परेशान तथा चिड़चिड़ा हो गए। बड़े भाई की अवज्ञा ना करते हुए उन्होंने छोटे भाई से तकिए की जांच करवाई। छोटे भाई ने पास आकर सूंघा और कहां, “ महाराज, तकिए में जानवरों के बाल हैं। कुछ इतने नुकीले हैं की लेटते ही चुभेंगे या चमड़ी काट देंगे। तकिए के किनारे पर लगी लेस पर जहर है जिससे आपकी जान भी जा सकती है”।
राजा ने तकिए को हाथ भी नहीं लगाया और सारी रात बिना तकिए के ही बिताई सुबह दे चुपचाप अपने साथ उस तकिए को लेकर अपने राज्य वापस लौट आए। तकिए की जांच करवाने पर दोनों भाइयों की सत्यता प्रमाणित हो गई। राजा ने दोनों भाइयों को उनकी सेवा के लिए बहुत सारा इनाम दिया।
बेताल ने कहा, “ राजन, दोनों भाइयों में कौन अधिक चतुर तथा अधिक * था?
मुस्कुराते हुए राजा ने उत्तर दिया, “ बड़ा भाई। उसी ने मेजबान के गलत इरादे को भांपा था। उसी ने तकिए को भी पहचाना था। छोटे भाई ने तो बाद में बड़े भाई की शंका को सही बताया था”।
बेताल जोर-जोर से हंसने लगा। बेताल को यह खेल खेलने में मज़ा आने लगा था। उसने कहा, “ राजन तुम्हारा उत्तर बिल्कुल सही है” और वह उड़ा और पेड़ पर चला गया।