त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि : उसके फायदे एवं उपयोग – How to make Triphala Churna? : It’s Benefits and uses

आपने कई बार आयुर्वेद के बारे में बात करते समय “त्रिफला” शब्द सुना ही होगा। त्रिफला ३ आयुर्वेदिक औषधियों के मिश्रण से बना एक औषधीय समूह है जिसका उपयोग हजारों सालों से हो रहा है। इसका उपयोग विविध परिस्थितियों में किया जाता है। आज हम इस आर्टिकल में त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि एवं उसके फायदे और उपयोग के बारे में बात करेंगे।

त्रिफला क्या होता है? – What is Triphala?

Triphala Churna
Triphala Churna

त्रिफला शब्द दो शब्दों से बना है – त्रि अर्थात तीन और फला अर्थात फल। इसे अंग्रेजी में The three fruits भी कहा जाता है। आयुर्वेद में त्रिफला तीन औषधीय गुणों वाले फल – आंवला, बहेड़ा (बिभीतक) और हरड़ (हरीतकी) के मिश्रण से बना हुआ एक Compound Formulation है। इसके सेवन से तीनों शारीरिक दोषों का शमन होता है, इसीलिए इसका उपयोग सभी तरह की व्यधिओं में हितकारक है।

त्रिफला बाजार में कई अलग अलग फ़ॉर्मूलेशन्स में उपलब्ध है जैसे की त्रिफला चूर्ण, त्रिफला टेबलेट्स, त्रिफला सीरप आदि। लेकिन अधिकतम समय, बाहर मिलने वाली आयुर्वेदिक औषधीया १०० प्रतिशत शुद्ध नहीं होती। इसीलिए अगर हो सके तो उन्हें घर पर बनाना ही उचित होता है। आज हम देखेंगे आसान तरीके से घर पर त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि।

त्रिफला चूर्ण बनाने की विधि – How to make Triphala Churna?

३०० ग्राम त्रिफला चूर्ण बनाने के लिए आपको चाहिए:

  • आंवला (Emblica officinalis) – १५० ग्राम
  • बहेड़ा (Terminalia bellirica) – १०० ग्राम
  • हरड़ (Terminalia chebula) – ५० ग्राम
  1. सबसे पहले इन तीनों फलों को ३-४ दिन तक सूर्य प्रकाश में सूखा दे।
  2. अब उनके बीज निकाल कर तीनों फलो के गर्भ को ग्राइंडर की मदद से अच्छे से ग्राइंड कीजिये।
  3. अब तीनों फलो को ३:२:१ भागों में अच्छे से मिला दीजिये।
  4. तो आपका त्रिफला चूर्ण तैयार है, अब उसे एयर टाइट कंटेनर में पैक करके रख दीजिये।

यहाँ हमने ३०० ग्राम त्रिफला चूर्ण बनाने के हिसाब से तीनों फलो की मात्रा ली है। आप अपने हिसाब से मात्रा ले सकते है। Triphala Churna आपको याद रखना है की त्रिफला की मात्रा में आंवला के ३ भाग, बहेड़ा के २ भाग और हरड़ का एक भाग (३:२:१)रखना है।

यहाँ पढ़ें : आयुर्वेद अनुसार तेल गण्डूष क्या है

त्रिफला चूर्ण के फायदे एवं उपयोग – Benefits and Uses of Triphala Churna

बेहतर दृष्टि के लिए – Improves Vision

त्रिफला के एंटीऑक्सीडेंट्स इफेक्ट्स हमारी आँखों के लिए बेहद फायदेमंद है। एक अनुसंधान के मुताबिक त्रिफला आँखों में मोतियाबिंद होने की संभावना को ८०% तक कम करता है। आंवला आँखों की रौशनी (आलोचक पित्त) को प्रज्वलित करने में मदद करता है। इसके नियमित सेवन से आँखे तेज बनती है। आप दिन में दो बार – खाने के बाद १ चम्मच त्रिफला चूर्ण को ले सकते है।

इसके अतिरिक्त इसके एंटी मॉइक्रोबियल और एंटी इन्फ्लैमटरी गुणधर्म की वजह से, आँखों में जलन, खुजली या अन्य कोई इन्फेक्शन की परिस्थिति में आँखों को त्रिफला से साफ़ करने की सलाह दी जाती है।

त्रिफला से आँखे साफ़ कैसे करे? – Triphala as an EyeWash:

Triphala Churna
Triphala Churna
  1. रात को एक चम्मच त्रिफला चूर्ण को एक गिलास गरम पानी में अच्छे से मिला कर रख दे।
  2. सुबह इस मिश्रण को कपड़े या बारीक़ छन्ने की मदद से छान ले।
  3. अब, बचे हुए पानी में आप एक तौलिये को गिला करके आँखों पर दे।
  4. ऐसा करते समय आपको ध्यान रखना है कि त्रिफला वाला पानी आंखों तक पहुंचे।
  5. तक़रीबन ५ मिनट तक ऐसा करते रहिये।

पहली बार त्रिफला से आँखे साफ़ करने पर आँखों में थोड़ी चुभन हो सकती है और ये प्राकृतिक है। अगर असह्य दर्द हो, खुजली हो या जलन हो तो इसका प्रयोग तुरंत ही रोक दे। सुरक्षा के लिए इसके उपयोग से पहले आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरूर ले। Triphala Churna

पेट के लिए – Aids in Digestion

Triphala Churna
Triphala Churna

आयुर्वेद में त्रिफला चूर्ण को दीपन और पाचन द्रव्य बताया गया है। यह एक प्राकृतिक रेचक भी है जो पाचन क्रिया को उत्तेजित करता है और कब्ज़ (Constipation) जैसी परेशानियों से छुटकारा दिलाता है। यह Irritable Bowel Syndrome (IBS) जैसी गंभीर परिस्थितियों के लिए भी कारगर साबित हुआ है। त्रिफला पाचन तंत्र में Good Bacteria के विकास को बढ़ावा देकर यह पाचन शक्ति को और मजबूत बनाता है।

आप बेहतर पाचन क्रिया और कब्ज जैसी जटिल परेशानियों से बचने के लिए हर रोज रात को सोने से पहले आधा चम्मच त्रिफला चूर्ण को एक गिलास दूध के साथ ले सकते है। त्रिफला के सेवन के दौरान अगर लूज़ मोशन जैसी परिस्थिति प्रगट हो तो आप डोज़ को थोड़ा कम भी कर सकते है।

बालों के लिए – Good for Hair

Triphala Churna
Good for Hair

बालों में अक्सर वात और पित्त दोष के प्रकोप से रूखे बाल एवं हेर फ़ोल जैसी परेशानिया हो सकती है। त्रिफला चूर्ण के त्रिदोषहर गुण की वजह से यह वात-पित्त दोष का शमन करता है और लम्बे एवं गहरे काले बाल प्रदान करता है। त्रिफला के एक्टिव इंग्रेडिएंट्स जैसेकि हरड़ के एंटीबैक्टीरियल और एन्टीफंगल गुणधर्म की वजह से यह Hair Scalp में होने वाले इन्फेक्शन से भी बचाता है।

Triphala Churna घने, काले और मजबूत बालों के लिए आप त्रिफला का समावेश अपने डाइट में कर सकते है। कई बार ख़राब पाचनतंत्र और मंद पाचन अग्नि की वजह से भी बालों की परेशानिया हो सकती है, जिसे ठीक करने में भी त्रिफला मदद करता है।

त्रिफला चूर्ण को आप नारियल के तेल के साथ सीधे अपने बालों में भी लगा सकते है। आप चाहे तो नारियल तेल की जगह भृंगराज, ब्राह्मी आदि तेल का उपयोग भी कर सकते है। यह हेर टॉनिक के जैसे काम करके बालों को पोषण प्रदान करते है और उन्हें जड़ने से बचाते है। यह बालों की PH संतुलित करने में मदद भी करता है।

लीवर (यकृत) के लिए – For Healthy Liver

Triphala Churna
Healthy Liver

लिवर जिसे आयुर्वेद में यकृत भी कहते है, हमारे शरीर के मेटाबोलिज्म और पाचन क्रिया में बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। अल्कोहल और एलोपैथिक दवाएं के अति उपयोग से और असंतुलित आहार से लिवर डैमेज, लिवर सिरोसिस, लिवर में सूजन, जॉन्डिस आदि गंभीर बीमारियां प्रकट हो सकती है।

आयुर्वेद में लिवर को पाचक पित्त का स्थान माना गया है। अधिकतम लिवर से संबंधित बीमारियां पित्त के प्रकोप से होती है। त्रिफला का त्रिदोषहर गुण बढे हुए पित्त का शमन करके तीनों शारीरिक दोष को संतुलित करता है और लिवर को स्वस्थ रखता है। त्रिफला हमारे शरीर में मेटाबॉलिज्म और मल उत्सर्जन प्रक्रिया को भी संतुलित करता है और लिवर को स्वस्थ रखने में मदद करता है। आधुनिक अनुसंधान के मुताबिक त्रिफला के सेवन से लिवर की कोशिकाएं पुनर्जीवित होती है और लिवर को फिर से कार्यरत होने में मदद मिलती है।

त्रिफला चूर्ण को आप स्वस्थ लिवर के लिए रोजाना सोने से पहले रात को आधा-एक चम्मच शहद के साथ ले सकते है। याद रखें, इसके साथ साथ आपको पित्त का प्रकोप करने वाले पदार्थ जैसे की तीखे-खट्टे अचार, अल्कोहल, मिर्च, गरम-मसाला, अदरक, सोंठ, विनेगर आदि का सेवन कम करना होगा।

यहाँ पढ़ें : आयुर्वेद में बकरी का दूध पीने के फायदे और नुकसान

टाइप-२ डायबिटीज़ – Type-2 Diabetes

टाइप-२ डायबिटीज एक बड़ी जटिल बिमारी है जिसमे ब्लड शुगर लेवल बढ़ा रहता है, जिसकी वजह से और कई परेशानियां हो सकती है। एक अनुसंधान के मुताबिक त्रिफला के नियमित सेवन से ब्लड ग्लूकोज़ लेवल और कोलेस्ट्रॉल लेवल कम होता है। आयुर्वेद अनुसार डायबिटीज की उत्पत्ति शरीर में अर्ध पछित खुराक की वजह से बनने वाले आम और वात-पित्त दोष के प्रकोप से होती है। त्रिफला के पाचन और दीपन गुणधर्म की वजह से पाचन शक्ति मजबूत बनती है आम का नाश होता है।

त्रिफला चूर्ण में उपलब्ध आंवला में एंटी डायबिटिक गुणधर्म पाए जाते है, जो की ब्लड ग्लूकोज़ लेवल कम करने में मदद करते है। इसके अतिरिक्त, बहेड़ा में पाए जाने वाले गेलिक एसिड जैसे तत्त्व भी कुछ हद तक शुगर कम करने में मददरूप साबित हुए है। डायबिटीज के मरीज इसके उपयोग से पहले अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह जरूर ले।

बेहतर त्वचा के लिए – For better skin tone

Triphala Churna
Triphala Churna

हमारे शरीर में मेलेनिन नामक एक रसायन पाया जाता है जो हमारी त्वचा के स्किन टोन को नियंत्रित करता है। हमारे शरीर में मेलेनिन की मात्रा जितनी अधिक होगी, स्किन टोन उतना ही गहरा होगा। त्रिफला के नियमित सेवन से शरीर में मेलेनिन का उत्पादन कम होता है जिसकी वजह से त्वचा निखर उठती है और डार्क सर्कल, काले धब्बे आदि परेशानियों से राहत मिलती है।

इसके अतिरिक्त, त्रिफला में एंटी-एजिंग गुणधर्म भी पाए जाते है। अमला में कई एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते है जो की शरीर की कोशिकाओं में होने वाले डैमेज को कम करते है। यह डेड स्किन सेल्स को हटा कर एक निखरी हुए और चमकदार त्वचा प्रदान करता है।

त्रिफला चूर्ण के नुकसान – Side effects of Triphala Churna

हमने देखा की त्रिफला के कई फायदे और उपयोग है। लेकिन, इसके अति उपयोग से कई साइड इफेक्ट्स देखने को मिल सकते है। इसलिए इसका उपयोग सावधानी पूर्वक और आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह पर ही करना चाहिए। त्रिफला चूर्ण के अति उपयोग से निम्नलिखित दुष्प्रभाव देखने को मिल सकते है:

  • लूज़ मोशन त्रिफला के दीपन और पाचन गुणधर्म की वजह से, उसके अधिक मात्रा में उपयोग की वजह से लूज़ मोशन जैसी परेशानी हो सकती है। ऐसा होने पर इसका उपयोग कम करदे या फिर रोक दे।
  • अत्यधिक लो ब्लड शुगर – अगर त्रिफला चूर्ण का उपयोग अन्य एंटी डायबिटिक ड्रग्स के साथ किया जाए तो दोनों के प्रभाव से शरीर में शुगर की मात्रा सामान्य से कम जा सकती है। अगर आपको चक्कर आना, ज्यादा पसीना बहना आदि लक्षण दिखे तो इसका उपयोग तुरंत रोक दे और डॉक्टर की सलाह ले।
  • गर्भित महिलाएं – गर्भित महिलाओं को त्रिफला का उपयोग नहीं करना चाहिए। इसके एक्टिव इंग्रेडिएंट्स से गर्भ पर गंभीर असर पड़ सकती है।

Reference-
2020, benefits of triphala churna, healthline

मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

Leave a Comment