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मेरे राम राइ, तूं संता का संत तेरे: गुरुवाणी शब्द कीर्तन | Mere Ram Rai Tu Santa Ka Sant Tere
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मेरे राम राइ, तूं संता का संत तेरे ॥
तेरे सेवक कउ भउ किछु नाही, जमु नही आवै नेरे ॥
मेरे राम राइ, तूं संता का संत तेरे ॥
जिस के सिर ऊपरि तूं सुआमी, सो दुखु कैसा पावै ॥
जिस के सिर ऊपरि तूं सुआमी, सो दुखु कैसा पावै ॥
बोलि न जाणै माइआ मदि माता, मरणा चीति न आवै ॥
बोलि न जाणै माइआ मदि माता, मरणा चीति न आवै ॥
तेरे सेवक कउ भउ किछु नाही, जमु नही आवै नेरे ॥
तेरे सेवक कउ भउ किछु नाही, जमु नही आवै नेरे ॥
मेरे राम राइ, तूं संता का संत तेरे ॥
मेरे राम राइ, तूं संता का संत तेरे ॥
जो तेरै रंगि राते सुआमी, तिन्ह का जनम मरण दुखु नासा ॥
जो तेरै रंगि राते सुआमी, तिन्ह का जनम मरण दुखु नासा ॥
तेरी बखस न मेटै कोई, सतिगुर का दिलासा ॥
तेरी बखस न मेटै कोई, सतिगुर का दिलासा ॥
तेरे सेवक कउ भउ किछु नाही, जमु नही आवै नेरे ॥
तेरे सेवक कउ भउ किछु नाही, जमु नही आवै नेरे ॥
मेरे राम राइ, तूं संता का संत तेरे ॥
मेरे राम राइ, तूं संता का संत तेरे ॥
नामु धिआइनि सुख फल पाइनि, आठ पहर आराधहि ॥
नामु धिआइनि सुख फल पाइनि, आठ पहर आराधहि ॥
तेरी सरणि तेरै भरवासै, पंच दुसट लै साधहि ॥
तेरी सरणि तेरै भरवासै, पंच दुसट लै साधहि ॥
तेरे सेवक कउ भउ किछु नाही, जमु नही आवै नेरे ॥
तेरे सेवक कउ भउ किछु नाही, जमु नही आवै नेरे ॥
मेरे राम राइ, तूं संता का संत तेरे ॥
मेरे राम राइ, तूं संता का संत तेरे ॥
गिआनु धिआनु किछु करमु न जाणा, सार न जाणा तेरी ॥
गिआनु धिआनु किछु करमु न जाणा, सार न जाणा तेरी ॥
सभ ते वडा सतिगुरु नानकु, जिनि कल राखी मेरी ॥
सभ ते वडा सतिगुरु नानकु, जिनि कल राखी मेरी ॥
तेरे सेवक कउ भउ किछु नाही, जमु नही आवै नेरे ॥
तेरे सेवक कउ भउ किछु नाही, जमु नही आवै नेरे ॥
मेरे राम राइ, तूं संता का संत तेरे ॥
मेरे राम राइ, तूं संता का संत तेरे ॥