पहले विवाह के संबंधों में लड़के-लड़कियों की पूरी जानकारी पंडितों और नाइयों द्वारा की जाती थी। लड़के को पक्का करने के लिए पीली चिट्ठी और लगन से जाने का काम नाई ही करता था।
एक व्यक्ति की लड़की तुतलानी थी। उसने अपनी लड़की के रिश्ते के लिए एक लड़का देखा था। उसी नाई के प्रयास से रिश्ते के लिए बात चली। पहले लड़की के लिए तोतले लड़के को देखने गए।
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वह एक जरूरी काम से जा रहा था, इसलिए वह एक मिनट उनके बीच बैठा, नमस्ते की और चला गया। लड़का सुंदर था और कारोबार अच्छा था। लड़के से संबंधित शेष जानकारी उस पक्ष के नाई और परिवार वालों से मिल गई।
जब लड़की को देखने वाले पहुंचे तो लड़की पक्ष के नाई ने एक कमरे में बैठा दिया। बैठे लोगों को लड़की नमस्ते कर और चाय रखकर चली गई। शेष बातें लड़की के घर तथा नाई से ज्ञात हुई। लड़की भी सुंदर और घरेलू कामों में होशियार थी।
लड़के वाले का नाई स्थिति को समझ गया, लेकिन बोला नहीं। यह संबंध तय हो गया और वह समय भी आ गया जिस दिन बरात आनी थी। बारातियों को खाना आदि खिलाने के बाद लड़का और लड़की विवाह मंडप में आए।
दोनों को देखकर लड़की और लड़के वाले खुश थे कि दोनों की जोड़ी बहुत सुंदर मिली है। भांवरे पढ़ने के बाद दोनों बैठे ही थे कि नजर सामने थोड़ी दूर पर आती हुई एक मकड़ी पर पड़ी और वह डरकर बोल पड़ी “तीला तीला!”
इतना सुनते ही लड़के ने अपने आस-पास देखा और उसके मुंह से निकला ताय।
सब लोगों की नज़र जब दुल्हन पर पड़ी तो पहले सब लोग हेरान रह गए। फिर दोनों तरफ के लोग ठहाका मारकर हंस पड़े। दूल्हा और दुल्हन, दोनों मुंह लटकाए धरती को देखते रहे। कभी-कभी कनखियों से एक-दूसरे को देख लेते थे।
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लड़की वाले ने सोचा था कि मेरी लड़की तोतली है, लेकिन लड़का अच्छा मिला है। इसी प्रकार लड़के वाले ने सोचा था कि मेरा लड़का तोलता है, लेकिन लड़की ठीक मिली है लेकिन तीला जौला ताय-साथ ने साबित कर दिया कि ‘जैसे को तैसा’ मिला। (Jaise Ko Taisa)