फूटे घड़े की कहानी – जातक कथाएँ | Jatak Story In Hindi | Futa ghada jatak katha in hindi

Futa ghada jatak katha in hindi

किसी गाँव में एक गरीब किसान रहता था, जो मेहनत-मजदूरी करके अपना पेट भरता था। वह किसान रोजाना दूर नदी से पानी लाता था। किसान रोज सुबह सूर्योदय से पहले ही उठता और अपने दो घड़ों को एक डंडे में बाँधता और डंडे को कंधे पर रखकर पानी लेने नदी की ओर चल देता।

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किसान की पिछले कई सालों से यही दिनचर्या थी। किसान के उन दो घड़ों में से एक घड़ा फूटा हुआ था। किसान नदी से तो दोनों घड़े भरकर लाता, लेकिन घर आते-आते फूटे घड़े से आधा पानी रास्ते में ही गिर जाता और घर आते-आते सिर्फ डेढ़ घड़ा पानी बचता, लेकिन किसान कभी भी इस बात को लेकर चिंतित नहीं होता।

फूटे घड़े को खुद में बहुत शर्मिंदगी महसूस होती थी कि बेचारा किसान सुबह उठकर दूर तक पैदल जाता है और मैं बदले में उसे क्या देता हूँ ? उसकी आधी मेहनत खराब कर देता हूँ। वहीं दूसरा घड़ा खुद पर गर्व महसूस करता था कि मैं पूरा पानी लेकर आता हूँ और अपने मालिक की मेहनत को बरबाद नहीं होने देता।

रोजाना की तरह किसान एक सुबह जैसे ही दोनों घड़ों को ले जाने लगा, फूटा घड़ा बड़े ही करुण स्वर में बोला, ‘हे मित्र। मैं खुद पर बहुत  शर्मिंदा हूँ। तुम रोजाना कितनी मेहनत करते हो और मैं आधा पानी रास्ते में गिरा देता हूँ, मुझे क्षमा करें।”

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किसान भी घड़े की दशा देखकर बहुत दुःखी हुआ। उसने फूटे घड़े से कहा, ‘मित्र, तुम दुःखी नहीं हो। आज जब मैं पानी लेकर लौटू तो तुम रास्ते में खिले सुंदर फूलों को देखना।”

Futa ghada jatak katha in hindi
Futa ghada jatak katha in hindi

ऐसा कहकर किसान ने डंडे को कंधे पर रखा और घड़ों में पानी लेने चल दिया। घड़े ने वैसे ही किया, उसने देखा कि पूरे रास्ते में रंग-बिरंगे फूल खिले हुए थे; लेकिन फूटा होने के कारण उसका पानी लगातार निकलता जा रहा था। घर वापस आते ही घड़ा फिर से किसान से माफी माँगने लगा, “मित्र, मैंने एक बार फिर आपकी मेहनत पर पानी फेर दिया और केवल आधा घड़ा ही पानी ला सका।”

किसान घड़े की बात सुनकर हँसा और बोला, “मित्र, शायद तुमने ध्यान से उन फूलों को नहीं देखा। रास्ते में खिले हर फूल तुम्हीं को देखकर मुस्करा रहे थे। सबके चेहरे तुम्हारी तरफ ही खिले थे। जानते हो ऐसा क्यों ? क्योंकि तुमने ही उन फूलों को जीवन दिया है।

तुम्हारे ही पानी से वे फूल मुस्कुराते हुए बड़े हुए हैं। मैं जानता था कि तुम्हारा पानी बिखर जाता है, इसलिए मैंने पूरे रास्ते में फूलों के बीज बो दिए थे।

आज तुम्हारे ही कारण पूरा रास्ता स्वर्ग जैसा नजर आता है। लोग इन फूलों को तोड़कर भगवान् को अर्पित करते हैं, सारे फूल तुमको देखकर खुशी से मुस्कुराते हैं। तुम्हारे दुःखी होने का कोई कारण नहीं है, उल्टे तुमने फूटे होते हुए भी न जाने कितने लोगों को खुशियाँ दी हैं। यह तुम्हारी कमजोरी नहीं बल्कि तुम्हारी शक्ति है। फूटा घड़ा किसान की बातों को सुनकर बहुत प्रसन्न हुआ।

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मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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