किसी भी ज्ञान को व्यवहारिक रूप से उपयोगी बनाने के लिये आवश्यक है कि उस ज्ञान का शोधन एवं परिक्षण होते रहना चाहिये । उस ज्ञान के विकास के लिये यह भी आवश्यक है कि उसे आने वाली पीढ़ी तक इसे पहुँचाया जाये । इसी क्रिया को आज शिक्षा या शिक्षण कहते हैं ।
चिकित्सा के क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था को आयुर्विज्ञान कहते हैं । ”आयुर्विज्ञान (Medical education) वह शिक्षा पद्यति है जिसमें चिकित्सा के प्रारंभिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक, प्रारंभिक प्रशिक्षण से वृहद शोध की व्यवस्था होती है ।” भारत शिक्षा के क्षेत्र में विश्वगुरू रह चुका है । विश्वविख्यात तक्षशिला, नालंदा विश्वविद्यालय में पहले आयुर्विज्ञान की शिक्षा होती है । उस समय आयुर्विज्ञान के अंतर्गत केवल और केवल आयुर्वेद की शिक्षा होती थी।
आज के समय में आयुर्विज्ञान के अंतर्गत आयुर्वेद के अतिरिक्त अन्य चिकित्सा पद्यतियों का भी अध्ययन कराया जाता है । आधुनिक चिकित्सा पद्यति को आयुर्विज्ञान में अधिक महत्व देने के कारण आयुर्वेद चिकित्सा पद्यति का अध्ययन-अध्यापन में पुराने समय की तुलना में कमी आई।
पहले आयुर्वेद की शिक्षा गुरू-शिष्य परम्परा से चल रहा था, किन्तु आधुनिक शिक्षा पद्यति में गुरू-शिष्य परम्परा गुरूकुल का स्थान अत्याधुनिक इंस्टिट्यूट, रिसर्च सेंटर आदि का चलन बढ़ा है । इस नई शिक्षण व्यवस्था में भी आयुर्वेद पर शिक्षण एवं प्रशक्षिण के साथ-साथ शोध कार्य भी हो रहे हैं । देश के आजादी के बाद इस दिशा में किये गये प्रयासों के आज सकारात्मक परिणाम दिखाई दे रहे हैं।
आयुर्वेद पर शिक्षण एवं प्रशिक्षण की स्थिति आज किस प्रकार है । नये बच्चे आयुर्वेद की शिक्षा कहॉं से और किस प्रकार प्राप्त कर सकते हैं ? इन्हीं विषयों पर विचार करते हैं।
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आयुर्वेद में संचालित पाठ्यक्रम –
Courses in Ayurveda
भारत में आयुर्वेदिक शिक्षा की व्यवस्था ‘भारतीय चिकित्सा केन्द्रीय परिषद’ अर्थात सेंट्रल काउंसिल ऑफ इंडियन मेडिसिन (सीसीआईएम) द्वारा संचालित की जाती है। यह परिषद आयुष मंत्रालय भारत सरकार के अधीन एक सांविधिक निकाय है । आयुर्वेद प्राचीन काल में गुरुकुल प्रणाली में पढ़ाया जाता था, जिसे अब संस्थानों से स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों में विकसित किया गया है ।
आयुर्वेद में डिम्लोमा, डिग्री आयुर्वेदाचार्य, या बीएमएमएस (बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड सर्जरी) की एवं आयुर्वेद वाचस्पति एमडी (आयुर्वेद) डिग्री दी जाती है । इस डिग्री के लिए इस परिषद द्वारा मान्यता प्राप्त किसी भी विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया जा सकता है । वर्तमान में इस परिषद द्वारा संबद्ध संस्थानों में आयुर्वेद संबंधी संचालित प्रमुख पाठ्यक्र इस प्रकार है-
- सर्टिफिकेट इन क्षार सूत्र
- सर्टिफिकेट इन पंचकर्म
- सर्टिफिकेट इन योगा एण्ड नैचरोपैथी
- डिपलोमा इन हर्बल फार्मिंग
- डिलोमा कोर्स इन आयुर्वेदा
- आयुर्वेदा कोर्स फार ऐलोपैथी डाक्टर
- बी फर्मा (आयुर्वेद)
- बेचलर आफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस)
- एमडी/एमएस (आयुर्वेद)
- पीएचडी (आयुर्वेद)
बीएमएमएस प्रवेश के लिये न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 12वीं संस्कृत सहित भौतिक, रसायन एवं जीवनविज्ञान निर्धारित है । कोई भी 17 वर्ष से अधिक के विद्यर्थी इसके आयोजित प्रवेश परीक्षा में बैठ सकता है । इसके लिये ऑल इंडिया एंट्रेस एग्जाम के साथ-साथ राज्य स्तर पर भी एंट्रेस एग्जाम आयोजित किये जाते हैं जिसमें प्रमुख है-
- नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ आयुर्वेद एंट्रेंस एग्जाम
- उत्तराखंड पीजी मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम
- केरल स्टेट एंट्रेंस एग्जाम
- कॉमन एंट्रेंस टैस्ट (सीईटी), कर्नाटक
- आयुष एंट्रेंस एग्जाम
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आयुर्वेदिक शिक्षण संस्थान – Ayurvedic Institutes
आज भारत में आयुर्वेद पर काफी काम हो रहे हैं । अनेक शैक्षणिक संस्थान से विद्यार्थी विभिन्न डिग्री हासिल कर रहे हैं । वही इन्हीं संस्थानों में आयुर्वेद पर शोध कार्य भी संचालित हो रहे हैं । आज की स्थिति में भारत के लगभग सभी राज्यों में आयुर्वेद के अध्ययन-अध्यापन हेतु शैक्षणिक संस्था, शोध संस्थान, महाविद्यालय, विश्वविद्यालय आदि संचालित हैं । देश भर में बीएएमएस की डिग्री देने वाले कालेजों की सूची इस प्रकार है-
- डॉ. एनटीआर यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंस विजयवाडा, आंध्रप्रदेश
- असम गवर्नमेंट होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल नागौन
- आर्यभट्ट नॉलेज यूनिवर्सिटी पटना बिहार
- आयुष एंड हेल्थ साइंस यूनिवर्सिटी रायपुर छत्तीसगढ़
- श्री नारायण प्रसाद अवस्थी गवर्नमेंट आयुर्वेद कॉलेज रायपुर छत्तीसगढ़
- ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ मेडिकल साइंस एम्स नई दिल्ली
- यूनिवर्सिटी ऑफ दिल्ली नई दिल्ली
- गोवा यूनिवर्सिटी गोवा
- बीएसपी गवर्नमेंट एक आयुर्वेद महाविद्यालय एंड रिसर्च सेंटर सीरोदा , गोवा
- गुजरात आयुर्वेद यूनिवर्सिटी जामनगर, गुजरात
- पारूल यूनिवर्सिटी वडोदरा,गुजरात
- भगत फूल सिंह महिला विश्वविद्यालय सोनीपत हरियाणा
- बाबा मस्तनाथ यूनिवर्सिटी रोहतक हरियाणा
- वनांचल एजुकेशन एंड वेलफेयर ट्रस्ट गढ़वा झारखंड
- राजीव गांधी यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंस बेंगलुरू कर्नाटक
- केएल यूनिवर्सिटी बेलगाम कर्नाटक
- केरला यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंस त्रिसूर केरला
- यूनिवर्सिटी आफ कालीकट केरला
- जम्मू इंस्टीट्यूट आफ आयुर्वेद एंड रिसर्च कॉलेज जम्मू जम्मू एंड कश्मीर
- यूनिवर्सिटी आफ जम्मू, जम्मू एंड कश्मीर
- हिमाचल प्रदेश यूनिवर्सिटी शिमला, हिमाचल प्रदेश
- डॉ एपीजे अब्दुल कलाम यूनिवर्सिटी इंदौर मध्य प्रदेश
- मध्य प्रदेश मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी जबलपुर मध्य प्रदेश
- मंदसौर यूनिवर्सिटी मंदसौर मध्य प्रदेश
- यूनिवर्सिटी ऑफ मुंबई महाराष्ट्र
- यशवंतराव चौहान ओपन यूनिवर्सिटी आप मुंबई महाराष्ट्र
- नेशनल इंस्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी दिमापुर नागालैंड
- गोपाबंधु आयुर्वेद महाविद्यालय पुरी उड़ीसा
- बाबा फरीद यूनिवर्सिटी आफ हेल्थ साइंस फरीदकोट पंजाब
- देश भगत यूनिवर्सिटी गोविंदगढ़ पंजाब
- गुरु नानक आयुर्वैदिक मेडिकल कॉलेज एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट लुधियाना पंजाब
- भगवंत यूनिवर्सिटी अजमेर राजस्थान
- नेशनल इंस्टीट्यूट आफ आयुर्वेद जयपुर राजस्थान
- द तमिलनाडु डॉक्टर एनजीआर मेडिकल यूनिवर्सिटी चेन्नई तमिल नाडु
- पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज हरिद्वार उत्तराखंड
- हिमालय आयुर्वेदिक मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल देहरादून उत्तराखंड
- गवर्नमेंट पोस्ट ग्रैजुएट आयुर्वैदिक कॉलेज एंड हॉस्पिटल हरिद्वार उत्तराखंड
- इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस वाराणसी उत्तर प्रदेश
- ग्लोकल यूनिवर्सिटी सहारनपुर उत्तर प्रदेश
- बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी वाराणसी उत्तर प्रदेश
- संस्कृति यूनिवर्सिटी मथुरा उत्तर प्रदेश
उपरोक्त सूची के अतिरिक्त और बहुत से सूचबिद्ध एवं असूचिबद्ध संस्थायें हैं । यहॉं केवल यह दिखाने का प्रयास है कि लगभग संपूर्ण भारत में आयुर्वेद की शिक्षा दी जा रही है । यहॉं एक बात रेखांकित करना आवश्यक हैं कि इन संस्थानों मैं भारत के अतिरिक्त हजारों विदेशी विद्यार्थी भी आयुर्वेद का अध्ययन कर रहे हैं । आयुर्वेद के बारीकियों को समझ रहे हैं इन विषयों पर शोध भी कर रहे हैं ।
आयुर्वेद में अध्ययन करने के पश्चात विद्यार्थियों का भविष्य
प्राय: बच्चों का चिकित्सा क्षेत्र में अध्ययन करने का सपना होता है । डॉक्टर बनने का सपना होता है । यह सपना देश और समाज के लिये आवश्यक भी है कि अधिक से अधिक बच्चे चिकित्सा के क्षेत्र में आये एवं देश की चिकित्सा व्वस्था को और अधिक सुदृढ़ करें ।
आयुर्विज्ञान के अंतर्गत सभी प्रकार के चिकित्सा पद्यति का अध्ययन का अवसर उपलब्ध है । विद्याथियों को अपनी सूची के अनुसार पद्यति का चयन करना चाहिये न की मजबूरी के चलते । निश्चित रूप से बच्चों के सामने आधुनिक चिकित्सा पद्यति और आयुर्वेद में से एक विकल्प को चुनना कठिन हो सकता है ।
आधुनिक चिकित्सा पद्यति के लिये स्कोप चकाचौंध भरा है किन्तु आयुर्वेद के प्रति यह रूझान नहीं दिखता । किन्तु यदि ध्यान से इस बात का आकलन करें कि देश में आयुर्वेद का क्या महत्व है ? व्यवहार में कितना उपयोगी है तो आप पायेंगे कि आयुर्वेद का महत्व फिर से एक बार दिनोंदिन बढ़ रहा है । स्थिति निराशाजनक नहीं है।
जहॉं तक व्यवहार की बात है तो आयुर्वेदिक उपचार तो बहुसंख्य लोग कराना चाह रहे हैं किन्तु योग्य वैद्य, योग्य चिकित्सक का तलाश पूरा नहीं हो पाता । जो कुछ आयुर्वेद के डिग्रीधारी हैं उनमें से बहुत लोग आयुर्वेद ज्ञान होने के बाद भी ऐलोपैथिक से उपचार कर देते हैं । घरेलू उपचार के रूप में आयुर्वेदिक उपचार आज भी गांव-गांव जीवित है ।
असंख्य गंभीर रोग से पीडि़त जो आधुनिक चिकित्सा से निराश हो चुँके, आयुर्वेद की ओर आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं । असंख्य लोग आधुनिक चिकित्सा के बहुत ही महंगे होने के कारण आयुर्वेद के शरण में आते हैं किन्तु झोलाछाप डाक्टर का तमगा आयुर्वेद के विकास में बाधक है । यदि योग्य आयुर्वेद चिकित्सकों की संख्या में वृद्धि हो तो आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्यति पुन: एक बार अपने स्वर्णिम दिनों में लौटने के लिये तैयार है ।
व्यवहारिक रूप में आज भारत सहित विदेशों में आयुर्वेदिक उपचार के प्रति लोगों का रूझान बढ़ा है इस बात का प्रमाण भारत में आयुर्वेदिक दवाई निर्माता कंपनियों के संख्या में हो रहे वृद्धि दे रहे हैं । व्यपार का सीधा सूत्र है लाभ होने पर व्यवसाय में विस्तार होता है । यदि आयुर्वेदिक दवाई कंपनीयों की संख्या बढ़ रहे हैं तो इसका सीधा अर्थ है आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग बढ़ रहा है ।
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विदेशों में भी आयुर्वेद के प्रति रूझान बढ़ रहे हैं । इसका प्रमाण यह है कि भारत में आने वाले अधिकांश विदेशी पर्यटक अपना पंचकर्म उपचार करना चाह रहे हैं । यही कारण है कि देश में पंचकर्म केन्द्रों की संख्या में दिनोंदिन बढ़ोतरी हो रही है ।
यह रूझान तो हर कोई महसूस कर सकता है कि हर चीज में आजकल हर्बल, नेचुरल होने के दावे के साथ अनेक उत्पाद बाजार में कमाई कर रहे हैं । खाने-पीने के चीज से लेकर डेलीनिड्स के समानों में हर्बल का लेबल लगाया जा रहा है । यह इस बात का स्पष्ट प्रमाण है कि आयुर्वेद के प्रति लोगों में विश्वास बढ़ रहा है उन्हें प्रतिक्षा है तो केवल योग्य चिकित्सकों की जो उनके विश्वास पर खरा उतरे ।
एक विशेष बात अब देश के प्रत्येक पब्लिक हेल्थ हास्पिटल में कम से कम एक आयुर्वेदिक चिकित्सक का होना अनिवार्य कर दिया गया है । स्पष्ट है कि आयुर्वेद के विद्यार्थियों का भविष्य सुनहरा है । (ayurvedic Medicine) आयुर्वेद चिकित्सक होकर उसी प्रकार सम्मान पाया जा सकता है जिस प्रकार आधुनिक चिकित्सा पद्यति के डाक्टर प्राप्त कर रहें हैं । आवश्यकत केवल इस बात की है कि वह समर्पित भाव से आयुर्वेद की सेवा करे ।
References
विकिपीडिया : आयुर्विज्ञान शिक्षा