धैर्य की परीक्षा – जातक कथाएँ | Jatak Story In Hindi | Dhairya ki pariksha jatak katha in hindi

Dhairya ki pariksha jatak katha in hindi

महात्मा बुद्ध को एक सभा में भाषण करना था जब समय हो गया तो महात्मा बुद्ध आए और बिना कुछ बोले ही वहाँ से चले गए।

तकरीबन एक सौ पचास के करीब श्रोता थे। दूसरे दिन तकरीबन सौ लोग थे, पर फिर उन्होंने ऐसा ही किया, बिना बोले चले गए। इस बार पचास कम हो गए।

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तीसरा दिन हुआ, साठ के करीब लोग थे, महात्मा बुद्ध आए, इधर-उधर देखा और बिना कुछ कहे वापस चले गए। चौथा दिन हुआ तो कुछ लोग और कम हो गए। तब भी नहीं बोले । जब पाँचवाँ दिन हुआ तो देखा सिर्फ चौदह लोग थे।

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महात्मा बुद्ध उस दिन बोले और वे सभी लोग उनके साथ हो गए। किसी ने महात्मा बुद्ध को पूछा, ‘आप चार दिन कुछ नहीं बोले। इसका क्या कारण था 

बुद्ध ने कहा, ‘मुझे भीड़ नहीं, काम करनेवाले चाहिए थे। यहाँ वही टिक सकेगा, जिसमें धैर्य हो। जिनमें धैर्य था, वह रह गए।

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तमाशा देखनेवाले रोज इधर-उधर ताक-झाँक करते हैं। समझने वाला धीरज रखता है। कई लोगों को दुनिया का तमाशा अच्छा लगता है। समझने वाला शायद एक हजार में एक ही हो, ऐसा ही देखा जाता है।

धैर्य की परीक्षा। जातक कथाएं ।महात्मा बुद्ध। Dhairya ki pariksha. Mahatma Buddh ki kahaniya in hindi – video

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मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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