एक काजी का, फैसला सुनाने के मामले में दूर-दूर तक नाम था। यह कोशिश यही करता था कि किसी बेगुनाह को सजा न हो कोई-कोई मुकदमा ऐसा आता था, जिसमें वह अपनी बुद्धि का बहुत परिचय देता था।
इसी प्रकार का एक मुकदमा उसके यहां आया। चोरी के शक में चार आदमियों को इजलास में हाजिर किया गया था। गवाहों के बयान सुनने के बाद और सबूतों को देखने-समझने के बाद असली चोर का निर्णय नहीं कर पा रहा था फिर भी वह असली चोर को जानने के लिए लगातार सोचे जा रहा था।
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चोर की कमजोरियों और आदतों के बारे में सोचने लगा। वह जानता था कि चोर डरपोक होता है और उसे हमेशा इस बात का डर बना रहता है कि उसको पहचान न लिया जाए।
काजी ने ये सारी बातें सोचकर शक में लाए गए मुजरिमों को गौर से देखा। एक-एक चेहरे पर नजर गड़ाकर देखते रहे। अचानक एक उपाय उनके दिमाग में काँध गया। काजी ने देखा कि सब मुजरिमों की दाड़ियां है।
उसने एक तीर में सुक्का छोड़ा मुजरिमों की ओर इशारा करते हुए “चोर की दाड़ी में तिनका।”
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सबकी निगाहें उनकी दाढ़ियों पर जा पहुंची। दरोगा की निगाह भी उधर ही थीं। असली चोर ने सोचा कि कहीं मेरी दाढ़ी में तो तिनका नहीं है। यही सोचकर उसने दाढ़ी पर हाथ फेरा।
दाड़ी पर हाथ फेरते ही काजी ने कहा, “चोर यही है। इसे गिरफतार कर लिया जाता है और बाकी सबको छोड़ा जाता है।” दरोगा उसे ले जाते हुए रास्ते में सोचता रहा कि किस तरह अधर में तीर मारा और सीधा निशान पर लगा- ‘चोर की दाढ़ी में तिनका
काजी ने ये सारी बातें सोचकर शक में लाए गए मुजरिमों को गौर से देखा। एक-एक चेहरे पर नजर गाकर देखते रहे। अचानक एक उपाय उनके दिमाग में काँध गया। काजी ने देखा कि सब ही मुजरिमों की दादियां हैं।
उसने एक तीर में तुक्का छोड़ा मुजरिमों की ओर इशारा करते हुए काजी बोला, “चोर” की दाढ़ी में तिनका ।” सबकी निगाहें उनकी दादियों पर जा पहुंची। दरोगा की निगाहें भी उधर ही थी असली चोर ने सोचा कि कहीं मेरी दाढ़ी में तो तिनका नहीं है। यही सोचकर उसने दाढ़ी पर हाथ फेरा।
दाड़ी पर हाथ फेरते ही काजी ने कहा, “चोर यहीं है। इसे गिरफ्त में से तो और बाकी सबकी बाइज्जत छोड़ा जाता है।”
दरोगा उसे ले जाते हुए रास्ते में सोचता रहा कि किस तरह अंधेरे में तीर मारा और सीधा निशाने पर लगा- ‘चोर की दाढ़ी में तिनका (Chor ki dadhi mein tinka)