- Ayurveda diet plan in Hindi | Ayurvedic diet plan for weight loss and Good health | Ayurveda diet
- आयुर्वेदिक डाइट क्या है? – What is an Ayurvedic Diet?
- यह कैसे काम करता है? – How Does it Work?
- आयुर्वेदिक डाइट के फायदे – Benefits of Ayurvedic Diet
- १. वजन घटाना – Weight Loss
- २. पौष्टिक आहार का सेवन – Consumption of Nutritious Food
- ३. त्रिदोष का संतुलन – Balance of Tridosha
- ४. बेहतर पाचन – Good Digestion
- ५. मानसिक तंदुरुस्ती – Mental Wellbeing
- दोष अनुसार आयुर्वेदिक डाइट – Ayurvedic Diet According to Dosha
- FAQs – Ayurvedic Diet in Hindi
- हेल्दी फूड क्या है? – What is Healthy Food?
- पित्त में क्या नहीं खाना चाहिए? – What Foods Should Pitta Avoid?
- भोजन कब और कितना खाना चाहिए? – How Much Food Should I Eat a Day?
- शाम को खाने में क्या खाना चाहिए? – What Should You Eat for Dinner?
- कफ व्यक्ति को क्या नहीं खाना चाहिए ? – What foods should Kapha avoid?
आयुर्वेद मे खान पान को अधिक महत्व दिया गया है। आयुर्वेद मानता है की हमारे आसपास के वातावरण और हमारे खुराक का सीधा असर हमारे शरीर पर पड़ता है। आयुर्वेदिक डाइट का अस्तित्व हजारों सालों से है। यह आयुर्वेद के मूलभूत सिद्धांतों पर आधारित है। यह हमारे शरीर में मौजूद दोषों को संतुलित करने मे मदद करता है और हमें एक तंदुरुस्त स्वास्थ्य की प्राप्ति करने मे मदद करता है।
यह अन्य डाइट प्लान से काफी अलग है क्योंकि यह हर एक की प्रकृति के मुताबिक अलग अलग खुराक की सलाह देता है। यह एक बेहतर शारीरिक स्वास्थ्य के साथ साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी बढ़ावा देता है। आज हम इस लेख में आयुर्वेदिक डाइट के साथ साथ उसके फायदे भी देखेंगे।
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आयुर्वेदिक डाइट क्या है? – What is an Ayurvedic Diet?
आयुर्वेद शब्द सुनते ही अधिकतम लोगों के मन मे जड़ी बूटी एवं औषधियों की छबि आती है। लेकिन यह तथ्य नहीं है। आयुर्वेद न ही केवल प्राकृतिक औषधियों की मदद से रोगों को मिटाने में मदद करता है लेकिन यह एक स्वस्थ जीवन पाने के लिए उचित जीवन शैली एवं आहार विहार की सलाह भी देता है।
“Ayurveda is a way of healthy life”
आयुर्वेद अनुसार यह सृष्टि पांच तत्वों से बनी हुई होती है – वायु, जल, आकाश, अग्नि एवं पृथ्वी। इन्हे आयुर्वेद में पंचमहाभूत कहा गया है। हमारा शरीर भी इन्हीं तत्वों से बना हुआ होता है। हमारे शरीर में यह पांच तत्व मिलकर तीन दोष (त्रिदोष) बनाते है, जिन्हे हम वात, पित्त, और कफ कहते है। हर एक दोष किसी शारीरिक क्रिया को नियंत्रित करता है।
बेहतर स्वास्थ्य के लिए हमारे त्रिदोष को संतुलित रखना अनिवार्य है। आयुर्वेदिक डाइट हमारे शरीर में स्थित दोषों की स्थिति को समज कर और उसके आधार पर उनको संतुलित करने वाले खुराक का चयन करना है।
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यह कैसे काम करता है? – How Does it Work?

आयुर्वेदिक डाइट हमारे शरीर में दोषों की स्थिति एवं हमारे शरीर की प्रकृति पर आधारित करता है। इसलिए यह हर एक के लिए अलग अलग होता है। यह हमें यह सिखाता है की अपने दोषों के अनुसार कब, कैसे और क्या खाना है। आयुर्वेदिक डाइट के बारे मे जान ने से आपको आपकी प्रकृति जाननी होगी। आप प्रकृति परीक्षण की मदद से अपनी दोषिक प्रकृति जान सकते है।
यह डाइट अनुसार, आपका खानपान आपके अंदर के दोषों के संतुलन पर निर्धारित होता है। शरीर में दोष को संतुलित करने के लिए इसके विपरीत गुण वाले खुराक की सलाह दी जाती है। जैसे की पित्त दोष ठंडा और रसीले खुराक से संतुलित होता है। इसके अतिरिक्त वात दोष गरम, नमी वाले, और रसदायक फल फ्रूट आदि से संतुलित होता है। ऐसे ही कफ दोष हल्का, गरम और सूखे खुराक से संतुलित होता है। अपनी दोषिक प्रकृति यहा जाने
आयुर्वेदिक डाइट के फायदे – Benefits of Ayurvedic Diet

आयुर्वेदिक डाइट का पालन करने के कई फायदे है। आयुर्वेदिक डाइट के कुछ फायदे नीचे बताए गए है।
१. वजन घटाना – Weight Loss
एक स्वस्थ आहार एवं जीवन शैली दोनों मिलकर हमारे शरीर में से अतिरिक्त चर्बी निकालने मदद कर सकते है। आयुर्वेद हमेशा शरीर के लिए गुणयुक्त एवं फायदा कारक भोजन का सेवन करने की सलाह देता है। शरीर में जमा ‘आम’ का शुद्धिकरण करके वजन कम किया जा सकता है। यह हमारे शरीर की जठराग्नि और मेटाबोलिस्म को बढ़ाकर भी वजन घटाने मे मदद करता है।
२. पौष्टिक आहार का सेवन – Consumption of Nutritious Food
हालांकि आयुर्वेदिक डाइट शारीरिक प्रकृति के हिसाब से खानपान का चयन करने की सलाह देता है, लेकिन यह एक पौष्टिक एवं शरीर के लिए फायदेमंद खुराक का समावेश करता है। यह खुराक पौष्टिक रूप से गुणरूप होता है एवं शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
आयुर्वेदिक डाइट प्रासेस्ड फूड का कम से कम सेवन करने की सलाह देता है जिनमे आम तौर पर फ़ाइबर की मात्रा बहोत कम होती है।
३. त्रिदोष का संतुलन – Balance of Tridosha
आयुर्वेदिक डाइट का पालन करने का मुख्य ध्येय होता है त्रिदोष का संतुलन। अपने दोषों के मुताबीत खुराक का सेवन करने से त्रिदोष का संतुलन बना रहता है। दोष के असंतुलन से कई रोगों की उत्पत्ति हो सकती है और उनका संतुलन बेहतर स्वास्थ्य के लिए अनिवार्य होता है।
४. बेहतर पाचन – Good Digestion
जब आप आयुर्वेदिक डाइट का पालन करते हो तब आपके शरीर में दोष संतुलित होते है। इसके साथ, आपके पाचन तंत्र (Intestine) मे भी जमा कचरा (Toxins), जिसे आयुर्वेद में ‘आम’ कहा गया है, वह साफ हो जाता है। इसके अतिरिक्त, आयुर्वेदिक डाइट से आपकी अग्नि भी प्रज्वलित होती है और पाचन तंत्र साफ हो जाता है।
५. मानसिक तंदुरुस्ती – Mental Wellbeing
आयुर्वेदिक डाइट का आचरण करने से शारीरिक दोष में संतुलन होता है और वह मानसिक दोष – रज और तमस को भी संतुलित करता है। मानसिक तंदुरुस्ती के लिए आयुर्वेद तामसिक खुराक जैसे की प्याज, लहसुन, ज्यादा तीखा, आदि को टालने की सलाह देता है।
इसके अतिरिक्त, शरीर का सम्पूर्ण शुद्धिकरण होने की वजह से हमें मानसिक शांति एवं तंदुरुस्ती की अनुभूति होती है।
दोष अनुसार आयुर्वेदिक डाइट – Ayurvedic Diet According to Dosha
आयुर्वेदिक डाइट हमारे शरीर में स्थित प्रबल दोष के विपरीत गुण वाले खुराक का सेवन करने की सलाह देता है जिससे की वह दोष का शमन हो जाए। यहा, कोष्ठक में दोष अनुसार आयुर्वेदिक डाइट बताए गए है। आप अपने दोष अनुसार क्या खाना है, क्या नहीं खाना है वो नीचे दिए गए कोष्ठक की मदद से जान सकते है।
दोष | क्या खाएं? | क्या न खाए? |
वात | गर्म, “नम”, और नरम खाद्य पदार्थ जैसे: ● केले ● आड़ू ● पकी हुई सब्जियां ● जई ● ब्राउन राइस ● दुबला मांस ● अंडे ● डेयरी | कड़वे, सूखे और ठंडे खाद्य पदार्थ जैसे: ● कच्ची सब्जियां ● कोल्ड ड्रिंक्स ● ड्राई फ्रूट्स ● सीड्स ● नट्स |
कफ | तीखी, एसिडिक, खाद्य पदार्थ जैसे: ● अधिकतम फल एवं सब्जियां ● अनाज ● अंडे ● लो फेट चीज़ ● गरम मसाले ● तीखे मसाले | पाचन में भारी, एवं खाद्य पदार्थ जैसे: ● चर्बी युक्त भोजन ● ऑइल्स ● मटन ● सीफूड ● सीड्स ● नट्स |
पित्त | हल्के, ठंडे, और मीठे खाद्य पदार्थ जैसे: ● फल ● बिना स्टार्च वाली सब्जियां ● ओट्स ● अंडे | पाचन में भारी, तीखे और खट्टे खाद्य पदार्थ जैसे: ● रेड मीट ● आलू ● तीखे मसाले ● गरम मसाले |
शरीर मे असंतुलन महसूस होने पर अपने दोष अनुसार उचित खुराक का चयन करके काफी हद तक आराम मिल सकता है। यह डाइट बहुत ही सामान्य सिद्धांतों पर बना है और हम में से कई लोग इन सिद्धांतों का पालन हर दिन करते है।
यहा सिर्फ कुछ पदार्थों के बारे में वर्णन किया गया है। लेकिन आप दोष के गुणों के आधार पर यह अंदाज लगा सकते है की क्या खाए और क्या नहीं। जैसे की हम सर्दियों मे शरीर मे कफ जमा होने पर गरम चीज़े खाते है। गर्मियों में ठंडे फल सब्जियां खाते है आदि।
आयुर्वेदिक डाइट के साथ-साथ योग और ऋतुकचार्य अनुसार जीवनशैली में बदलाव लाकर एक बेहतर और दीर्घ आयुष्य की प्राप्ति की जा सकती है।
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FAQs – Ayurvedic Diet in Hindi
हेल्दी फूड क्या है? – What is Healthy Food?
हेल्दी का मतलब होता है स्वस्थ। जो खुराक हमारे स्वास्थ्य को स्वस्थ रखने में मदद करते है उन्हे हेल्दी या फिर हेल्थी फूड कहते है। इनमें मुख्य रूप से पोषण युक्त सब्जियां, फल, ड्राई फ्रूट्स, अनाज, फलिया, आदि का समावेश होता है।
बाहर के खाने को और फास्ट फूड को आम तौर पर अन-हेल्दी माना जाता है।
पित्त में क्या नहीं खाना चाहिए? – What Foods Should Pitta Avoid?
पित्त में पित्त दोष का शमन करने वाले और उस से विपरीत गुण वाले खुराक जैसे की तीखे, खट्टे, नमकीन, तले हुए, आदि खुराक को टालना चाहिए। पित्त में केफेन, चाय, धूम्रपान आदि का सेवन भी नहीं करना चाहिए।
भोजन कब और कितना खाना चाहिए? – How Much Food Should I Eat a Day?
हमें हमारा भोजन नियमित रूप से और न कम और न ज्यादा मात्रा में लेना है। आम तौर पर हमें दो भोजन के बीच कम से कम ४ घण्टे का समय अंतर रखना है। हमें हमारा ब्रेक्फस्ट सुबह उठने के ३० मिनट के अंदर कर लेना चाहिए। हमारा ब्रेक्फस्ट ७-८ बजे तक हो जाना चाहिए, हमें १० बजे के बाद ब्रेक्फस्ट नहीं करना है। दोपहर को १२-३० से १ बजे तक भोजन कर लेना चाहिए। और रात को सोने के कम से कम ४ घंटे पहले खाना खा लेना चाहिए।
शाम को खाने में क्या खाना चाहिए? – What Should You Eat for Dinner?
शाम को खाने के बाद सोना होता है इसलिए शाम को खाने में हमेशा आसानी से पचने वाला और हल्का खुराक खाना चाहिए। याद रखे शाम को ठंडे और भारी खुराक बिलकुल नहीं खाना है। ठंडे खुराक को शाम को खाने से शरीर मे कफ दोष बढ़ता है और कई रोगों का कारण बनता है।
इसके अतिरिक्त, आपको ऋतु अनुसार एवं अपने शरीर में दोष की स्थिति अनुसार खुराक का चयन करना चाहिए। जैसे की वसंत ऋतु में हल्के खुराक लेने चाहिए, हेमंत ऋतु में गरम खुराक लेने चाहिए आदि।
कफ व्यक्ति को क्या नहीं खाना चाहिए ? – What foods should Kapha avoid?
कफ व्यक्ति को कफ दोष के गुणों से समान गुण वाले और इसका प्रकोप करने वाले मीठे और खट्टे फल जैसे की अनानास, पपाया, खर्जूर, नारियल, आम, तरबूज, कीवी, अंगूर, इमली, नारंगी आदि, हेवी और पाचन में भारी खुराक, कोल्ड ड्रिंक्स, ठंडे खुराक, आदि को टालना चाहिए।