- आयुर्वेद या एलोपैथी, कौन सा है बेहतर? – allopathic aur ayurvedic, Which one is Better?
- आयुर्वेद क्या है? – What is Ayurved?
- आयुर्वेद का सत्य – The truth of Ayurveda
- आयुर्वेद कैसे काम करता है? – How do Ayurveda work?
- आयुर्वेद की विशेषताएं – Specialities of Ayurveda
- आयुर्वेद में खामियां – Flaws of Ayurveda
- एलोपैथी क्या है? – What is Allopathy?
- एलोपैथी कैसे काम करता है? – How do Allopathy work?
- एलोपैथी की विशेषताएं – Specialties of Allopathy
- एलोपैथी में खामियां – Flaws of Allopathy
allopathic aur ayurvedic – दुनिया के सभी चिकित्सा विज्ञान का एक ही उद्देश्य है – ‘स्वास्थ्य का रक्षण’, लेकिन सभी चिकित्सा विज्ञान की कुछ न कुछ विशेषता होती है। सभी चिकित्सा विज्ञान के सिद्धांत अलग अलग होते है। बढ़ते अनुसंधान एवं विकास के साथ चिकित्सा विज्ञान का भी विकास होता रहा है। पिछले कई सालों में आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने आसमान छुलेने वाली तरक्की की है। जो रोग आज से २० साल पहले असाध्य माने जाते थे जैसे की कैंसर (Cancer), डायबिटीज़ (Diabetes), पोलियो (Polio), टी.बी (T.B), उनका इलाज आज आधुनिक चिकित्सा द्वारा मुमकिन बना है।
आयुर्वेद या एलोपैथी, कौन सा है बेहतर? – allopathic aur ayurvedic, Which one is Better?
आज हम बात करेंगे दुनिया के दो सबसे प्रचलित चिकित्सा विज्ञान के बारे में – ‘एलोपैथी और आयुर्वेद (Allopathy and Ayurveda)’। एलोपैथी – जो की सबसे आधुनिक चिकित्सा विज्ञान है, यह सबसे जल्दी असर करता है एवं आयुर्वेद, जो की दुनिया का सबसे प्राचीन चिकित्सा विज्ञान है, जो की रोगों को जड़ से मिटाता है। दोनों चिकित्सा विज्ञान उनकी जगह पर श्रेष्ठ है, लेकिन कहते है ना की – ‘Everthing has its own limit’, हर चीज़ की अपनी एक सीमा होती है।
दोनों चिकित्सा विज्ञान में कोई न कोई भलाई-बुराई ज़रूर है। आज हम देखेंगे की यह दोनों कैसे काम करते है और इन दोनों में से कौनसा है बेहतर।
आयुर्वेद क्या है? – What is Ayurved?
‘आयुर्वेद’ शब्द का संस्कृत में अर्थ होता है – जीवन का विज्ञान। आयुर्वेद की उत्पत्ति माना जाता है की तकरिब्बन ५००० साल पहले भारत देश में हुई। इसका मूल जटिल रूप से वेदो एवं पुराणों में भी पाया जाता है। आयुर्वेद न ही केवल चिकित्सा विज्ञान है लेकिन यह जीवन जीने का संपूर्ण ज्ञान है। आयुर्वेद की परिभाषा बताते हुए चरक संहिता में बताया गया है की – “आयुष्य वेदः आयुर्वेदः” अर्थात जीवन का विज्ञान ही आयुर्वेद है। आयुर्वेद की उत्पत्ति माना जाता है की समुद्र मंथन के समय भगवान धनवंतरि से हुई। इसीलिए भगवान धनवंतरि को आरोग्य के देवता माना जाता है।
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आयुर्वेद का सत्य – The truth of Ayurveda
आयुर्वेद को अक्सर सड़क किनारे तंबू धारी चलते फिरते नीमहकीमो के साथ गलत तुलना की जाती है। यह लोग आयुर्वेद के लिए एवं हमारी संस्कृति के लिए कलंक है। आयुर्वेद को घरेलू नुस्खे और उपचार का अवैज्ञानिक चिकित्सा क्षेत्र माना जाता है। लेकिन, ऐसा कहना बिलकुल ही गलत होगा। allopathic aur ayurvedic
आयुर्वेद इन सब चीज़ो से कई अलग है। आयुर्वेद अत्यधिक परीक्षण के आधार पर विकसित हुए चिकित्सीय ग्रंथो का समूह है। ‘आचार्य चरक’ जो की चरक संहिता के लेखक है, उनको ‘Father of Medicine’ माना जाता है और सुश्रुत संहिता के लेखक ‘आचार्य सुश्रुत’ को ‘Father of Surgery’ माना जाता है। कहा जाता है की आज की सबसे पेचीदा सर्जरी जैसे की राहिनोप्लास्टी (Rhinoplasty) आदि उस ज़माने भी की जाती थी। लेकिन आज कल के विकसित हुए मृगजलो की वजह से आयुर्वेद कही खो सा गया है।
आयुर्वेद कैसे काम करता है? – How do Ayurveda work?
आयुर्वेद कई अलग अलग तर्क आधारित मुलसिद्धान्तो पर आधारित है। आयुर्वेद के मुलसिद्धान्तो का वर्णन ‘पदार्थ विज्ञान’ विषय में किया गया है। उनमेसे कई सिद्धांत बड़े ही प्रचलित है। जैसे की आयुर्वेद मानता है की हम और हमारे आसपास की सभी चीज़े पांच भौतिक तत्वों से बानी हुई है जिसे ‘पंचमहाभूत’ कहते है।
हमारा भौतिक शरीर – आकाश, वायु, पृथ्वी, जल, और अग्नि इन पांच तत्वों से बना होता है। हमारे शरीर में तीन शारीरिक दोष – वात, पित्त और कफ पाए जाते है, जिनके असंतुलन से सभी रोगों की उत्पत्ति होती है। आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान इन दोषों को संतुलित रखकर रोगों को विनाश करने के सिद्धांत पर आधारित है।allopathic aur ayurvedic
आयुर्वेद में सामान्य और विशेष का सिद्धांत भी बताया गया है। सामान्य गुण वाले द्रव्य दोषों का प्रकोप करते है उसी तरह विपरीत गुण वाले द्रव्य दोषों का शमन करते है। जैसे की ठंडी चीज़े खाने पर कफ दोष बढ़ता है क्योंकि शीत गुण कफ दोष में सामान्य है और पित्त दोष कम होता है क्योंकि शीत गुण पित्त दोष के विपरीत है। आयुर्वेद में वर्णित सभी औषधीया उनके रस (स्वाद), गुण, वीर्य, विपाक आदि के आधार पर शरीर पर काम करती है।
गरम चीज़े खाने पर शरीर में गर्मी बढ़ती है, ठंडी चीज़े खाने पर शरीर में कफ दोष बढ़ता है आदि जैसे मूल सिद्धांतों पर आयुर्वेद बना है। इन सिद्धांतों की मदद से आयुर्वेद बीमारी को जड़ से मिटाने में मदद करता है।
आयुर्वेद में यह भी बताया गया है हमारा शरीर और प्रकृति दोनों जुड़े हुए है। प्रकृति में परिवर्तन जैसे की दिन-रात होना, अलग अलग ऋतुएँ आना आदि का प्रभाव हमारे शरीर पर भी देखने को मिलता है। आयुर्वेद में कहा गया है की इन सब परिवर्तन का प्रभाव हमारे शारीरिक दोषो पर पड़ता है। इसलिए आयुर्वेद में काल, वय, ऋतु, आदि को ध्यान में रखते हुए चिकित्सा की जाती है।
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आयुर्वेद की विशेषताएं – Specialities of Ayurveda
आयुर्वेद चिकित्सा विज्ञान की कई विशेषताएँ है। आयुर्वेद विज्ञान मात्र चिकित्सा विज्ञान नहीं है बल्कि यह एक सही जीवनशैली है। आयुर्वेद में योग का भी समावेश होता है जो की आजकल विदेशों में भी प्रचलित है। ‘अष्टांग आयुर्वेद’ में आयुर्वेद के ८ विशेष क्षेत्रो के बारे में वर्णन किया गया है। allopathic aur ayurvedic
अष्टांग आयुर्वेद में निम्नलिखित क्षेत्रो का समावेश होता है:
- कायचिकित्सा (General Medicine)
- बालचिकित्सा (Pediatrics)
- ग्रहचिकित्सा (Psychiatrics)
- शल्यचिकित्सा (Surgery)
- शालाक्यचिकित्सा (ENT & Cephalic Diseases)
- विषचिकित्सा (Toxicology)
- रसायनचिकित्सा (Rejuvenation therapy)
- वाजीकरण (Aphrodisiac treatment)
आयुर्वेद में इसके अलावा योग, मर्म चिकित्सा, नाड़ी चिकित्सा, पंचकर्मा, आदि बताए गए है जो की बहुत कारगर है। इसके अलावा आयुर्वेद की यह विशेषताएँ है की यह मरीज़ के शरीर की प्रकृति को ध्यान में रख के चिकित्सा होती है। अन्य दवाओं के मुक़ाबले आयुर्वेद औषधि यों का काफी हद तक कम दुष्प्रभाव देखने को मिलता है। इसके, अतिरिक्त आयुर्वेदिक चिकित्सा सस्ती और आर्थिक रूप से सुलभ होती है। आयुर्वेद न ही केवल रोगों का नाश करने में मदद करता है, बल्कि रोगों से बचने के लिए भी उपयोगी है।
आयुर्वेद में खामियां – Flaws of Ayurveda
आयुर्वेदिक चिकित्सा में विशेषताओं के साथ साथ कई ख़ामियाँ भी है। यह विज्ञान आज से तकरिब्बन ५००० साल पुराना है इसीलिए इसमें बताई गई कई चीज़े आज के लिए काल ग्रस्त हो चुकी है। आयुर्वेद को आज के ज़माने में १०० प्रतिशत पुनर्जीवित करने के लिए तीव्र अध्ययन की जरुरत है।
उदाहरण स्वरूप आयुर्वेद में बतायी गई कई उपचार में औषधि यों की मात्रा अत्यधिक बताई गई है क्योंकि उस समय मनुष्य की पाचन शक्ति बहुत ही तीव्र थी। उस समय वातावरण भी संतुलित था, आयुर्वेद में बताई गयी कई औषधीय भी आजकल लुप्त हो गई ही। इसके अतिरिक्त, आयुर्वेद चिकित्सा इमरजेंसी सारवार के लिए नहीं उपयोग में ली जा सकती है। इसके लिए कठिन परीक्षण और अध्ययन की जरुरत है। allopathic aur ayurvedic
एलोपैथी क्या है? – What is Allopathy?
एलोपैथी (Allopathy) जिसे मॉडर्न मेडिसीन (Modern medicine) भी कहते है, यह एक आधुनिक चिकित्सा विज्ञान है, जिसका उपयोग विश्व भर में मुख्य चिकित्सा विज्ञान के रूप में किया जाता है। हिप्पोक्रेट्स (Hippocrates) को आधुनिक चिकित्सा विज्ञान के पिता (Father of Modern Medicine) माना गया है। आज से तक़रीबन २४०० साल पहले उनके द्वारा रचित ७० से भी अधिक पुस्तकों में रोगों का वर्णन किया गया है।
इसके आधार पर हम कह सकते है की आज कल की मॉडर्न मेडिसिन्स कई न कई आयुर्वेद जैसी पौराणिक चिकित्सा विज्ञान पर आधारित है। एलोपैथी की असल शुरुआत १८वी शताब्दी की औद्योगिक क्रांति के बाद हुई।
एलोपैथी कैसे काम करता है? – How do Allopathy work?
एलोपैथी मुख्य तौर पर लाक्षणिक चिकित्सा (Symptomatic treatment) करता है। “when the symptom is gone, so is the sickness” अर्थात एलोपैथी मानता है की लक्षणों का अभाव अच्छे स्वस्थ्य की निशानी है। इसमें सिर्फ उपलब्ध लक्षणों का शमन करने के लिए केमिकल का उपयोग होता है। यह कोई बीमारी को जड़ से नहीं मिटाता। एलोपैथिक दवाएँ शरीर में जैविक रसायणो (Bio Chemicals) पर प्रभाव डालती है और काम करती है। एलोपैथिक मेडिसीन मुख्य तौर पे शरीर में रोगों से विपरीत प्रभाव डालकर काम करती है।
एलोपैथी की विशेषताएं – Specialties of Allopathy
allopathic aur ayurvedic – एलोपैथी या फिर आधुनिक दवाइआ विश्व भर में सबसे प्रचलित है। इसका मुख्य कारण है इसका शीघ्र और सरल इलाज। एलोपैथी विश्व भर में प्रचलित होने और इसमें तीव्र अनुसंधान की वजह से यह आसमान छूने वाली तेजी से बढ़ रहा है। एलोपैथिक दवाएँ शरीर में शीघ्र ही काम करती है और रोग से राहत मिलती है।
एलोपैथी Acute (तीव्र) बीमारियों में कारगर है। इसके अलावा आधुनिक डायग्नोस्टिक टूल्स जैसे की एक्स-रे (X-Ray), सोनोग्राफी (Sonography), सी.टी स्कैन (CT Scan), कार्डियोग्राम (ECG), लैब टेस्ट्स आदि रोगनिदान में मदद करते है। आधुनिक मशीनों की मदद से सबसे नाज़ुक जगहों पर भी सर्जरी मुमकिन है।
एलोपैथी में खामियां – Flaws of Allopathy
एलोपैथी में कई ख़ामियाँ भी है जैसे की:
- एलोपैथिक दवाओं का दुष्प्रभाव सबसे ज़्यादा होता है। यह दवा लिवर, किडनी, हृदय आदि को हानि पोहचाती है।
- एलोपैथिक दवाए मात्र लाक्षणिक चिकित्सा (Symptomatic treatment) करती है, और बीमारी को जड़ से नहीं मिटाती।
- अत्यधिक एलोपैथिक मेडिसिन्स के सेवन से जानलेवा विकृति पैदा हो सकती है। अतिरिक्त स्टेरॉयड (Steroids) के सेवन से हमारी रोगप्रतिकारक शक्ति कमजोर पड जाती है और कई संक्रमित रोगों का खतरा बढ़ जाता है।
- आयुर्वेद के मुक़ाबले यह महंगी होती है।
- कई एलोपैथिक दवाइयों के नियमित सेवन से उनकी आदत पड जाती है और दवाइयों पर आधारित जीवन हो जाता है।
अंतिम शब्द : आयुर्वेद या एलोपैथी, कौन सा है ? – Final words : Ayurveda or Allopathy, which one is best?
हमने देखा की आयुर्वेद और एलोपैथी allopathic aur ayurvedic दोनों ही उनकी जगह पर श्रेष्ठ चिकित्सा विज्ञान है। अंत में, यह कहना कदापि उचित नहीं होगा की इनमें से कोई एक श्रेष्ठ चिकित्सा विज्ञान है। हमे चतुराई पूर्वक उनका मिश्रित उपयोग करना चाहिए। आयुर्वेद क्रोनिक डिजीज को मिटाने में कारगर है वही एलोपैथी एक्यूट डिजीज में कारगर है। रोगों से बचने के लिए आयुर्वेदिक दिनचर्या, ऋतुचर्या आदि का पालन करना चाहिए। आयुर्वेद को अपना कर हम हमारी जीवनशैली में बदलाव लाकर कई रोगों से बच सकते है।
Reference-
21 December 2020, allopathic aur ayurvedic, wikipedia