आप हारे, बहू को मारे | कहावतों की कहानियां | Aap hare Bahu ko mare Hindi Proverb

एक दर्जी था। उसका काम खूब चलता था। घर में सभी आनंदपूर्वक रहते थे। उसकी बीबी और दो बच्चे थे। वह सीधा-सादा व्यक्ति था। सुबह उठना और नहा-धोकर दुकान पर जाना और शाम को दुकान बंद करके आना। भोजन करना और सो जाना। छुट्टी के दिन घर पर रहना या बाहर कहीं जाना होता तो जाता था।

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एक बार दीवाली पर उसका मित्र आया और उसे ले गया। वहां वह जूए में कुछ जीत आया। अब कभी-कभार वह जुआ खेलने लगा। कभी हारता, तो कभी जीतता। धीरे-धीरे जुआ खेलने में उसकी दिलचस्पी बढ़ती चली गई।

अब दुकान कभी खुलती, तो कभी बंद रहती ग्राहक टूटते गए और दुकानदारी खराब होती गई। वह अपने मोहल्ले वालों के साथ नहीं खेलता था, इसलिए उसके जुए के बारे में पड़ोसियों को मालूम नही था। जुए की वजह से घर में धीरे-धीरे लड़ाई शुरू हो गई।

अब घर में भी देर से आने लगा। हालत यह हो गई कि यह जुआ खेलता प्रतिदिन घर में लड़ाई होती और औरत को पीटता। वैसे तो उससे कोई कुछ नहीं कहता था। जबकी मार-पीट से लोगों की नींद खराब होने लगी, तो उन्होंने मजबूरी में पुलिस को सूचना दी।

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पुलिस आने पर घर वालों ने तो जान-बूझकर बातें छिपा ली। उसकी पत्नी भी नहीं चाहती थी कि पुलिस उसके पति को पकड़कर ले जाएं और कुछ करें। अंत में पड़ोसियों को बताना पड़ा कि यह रोज जुआ खेलकर जाता है और रोज अपनी पत्नी को मारता है। रोजाना दो-तीन घंटे हम लोगों की नींद खराब करता है।

दरोगा ने सबकी बातें बड़े ध्यान से सुनी। उसको ले जाते समय दरोगा बोला, अच्छा यह बात है आपे हारे, बहू को मारे। (Aap hare Bahu ko mare Hindi Proverb)

मेरा नाम सविता मित्तल है। मैं एक लेखक (content writer) हूँ। मेैं हिंदी और अंग्रेजी भाषा मे लिखने के साथ-साथ एक एसईओ (SEO) के पद पर भी काम करती हूँ। मैंने अभी तक कई विषयों पर आर्टिकल लिखे हैं जैसे- स्किन केयर, हेयर केयर, योगा । मुझे लिखना बहुत पसंद हैं।

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