- गिलोय के फायदे
- 1. इम्यूनिटी बूस्टर – Boosts Immunity
- 2. एंटी डायबिटिक – Anti-Diabetic
- 3. बेहतर त्वचा के लिए – For Healthy Skin
- 4. एंटी-एजिंग – Anti aging
- 5. स्मृति बढ़ाने वाला – Memory Enhancer
- 6. श्वसन में लाभदायक – Beneficial in respiratory illness
- 7. पाचन – Digestion
- 8. बुखार – Fever
- 9. आर्थराइटिस (गठिया) – Arthritis
- 10. मोटापे में लाभदायक – Beneficial in Obesity
- गिलोय को अपने दैनिक आहार में कैसे लें? – Make Giloy as your Daily Habit
- गिलोय के दुष्प्रभाव – Side Effects of Giloy
एलोपैथी की तुलना में आयुर्वेदिक औषधियां कम दुष्प्रभाव (Side-effects) के कारण धीरे-धीरे प्रसिद्ध होती जा रही है। आयुर्वेद जो की दुनिया का सबसे प्राचीन चिकित्सा विज्ञान है, यह ऐसी कई हर्बल औषधियों का एक महासागर है। गिलोय आयुर्वेद में वर्णित सबसे उपयोगी औषधीय पौधों में से एक है जिसका चिकित्सीय उद्देश्यों की एक विस्तृत श्रृंखला है। आयुर्वेद में गिलोय के असंख्य लाभ बताए गए हैं।
गिलोय को आमतौर पर इसकी पत्तियों के आकार के कारण (Moonseed) या (Heart Leaved Moonseed) के नाम से भी जाना जाता है। यह Menispermaceae फैमिली से संबंधित है और एक आनुवंशिक रूप से विविध, लंबी चढ़ाई वाली झाड़ी है जो ऊंचाई पर पाई जाती है। कई शोधों ने विभिन्न स्थितियों में गिलोय की चिकित्सीय प्रभावशीलता और लाभों को सफलतापूर्वक साबित किया है।
संस्कृत में गुडूची और अमृत (जिसका अर्थ है सदैव जीवित रखने वाला)गिलोय के लिए पर्यायवाची हैं। आयुर्वेद के अनुसार, यह कहा जाता है कि यह जिस पेड़ पर चढ़ता है उसके गुणों को भी प्रकट करता है, इसलिए नीम के पेड़ पर चढ़ने वाली गिलोय को सबसे अच्छा माना जाता है। इसे नीम गिलोय के नाम से जाना जाता है। गिलोय का जूस, टेबलेट्स और चूर्ण (Powder) सेवन के लिए मार्केट में उपलब्ध हैं, जो किसी भी आयुर्वेद की दुकान पर पाया जा सकता है। चिकित्सीय उपयोगों के अलावा, गिलोय का उपयोग सजावटी पौधे के रूप में भी किया जाता है।
गिलोय के फायदे
1. इम्यूनिटी बूस्टर – Boosts Immunity

गिलोय को एक शक्तिशाली इम्युनिटी उत्तेजक माना जाता है। इसमें भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidants) होते हैं, जो फ्री रेडिकल्स (Free radicals) से लड़ते हैं और हमारी कोशिकाओं को स्वस्थ रखते हैं, और बीमारियों से बचाते हैं। अपने उत्कृष्ट इम्युनोमॉड्यूलेटरी गुणों के कारण, गिलोय और आंवला उपन्यास कोरोनावायरस के खिलाफ प्रतिरक्षा बनाने के लिए आयुष हेल्थ केयर विशेषज्ञों द्वारा पहली पसंद बन गए। वयस्क अपनी प्रतिरक्षा को मजबूत करने के लिए प्रत्येक भोजन के बाद 1-2 गिलोय की गोलियां पानी के साथ ले सकते हैं।
2. एंटी डायबिटिक – Anti-Diabetic
प्रमेह (Diabetes Mellitus) के इलाज के लिए आयुर्वेद में गिलोय चूर्ण और रस का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। यह Hypoglycemic agent के रूप में कार्य करता है। गिलोय का सेवन नियमित रूप से Glucose Metabolism को बढ़ाकर रक्त में ग्लूकोस के स्तर को आश्चर्यजनक रूप से कम करता है। डायबिटीज के मरीज भोजन के बाद प्रतिदिन दो बार पानी के साथ आधा चम्मच गिलोय चूर्ण (Powder) लें या आप पानी के साथ 1-2 चम्मच गिलोय का रस सुबह-शाम खाली पेट ले सकते हैं।
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3. बेहतर त्वचा के लिए – For Healthy Skin

गिलोय का नियमित सेवन त्वचा के लिए भी फायदेमंद माना जाता है। यह पिंपल्स, झुर्रियों को कम करने में मदद करता है और त्वचा में निखार लाता है। यह काले धब्बों को भी हटाता है और त्वचा को पोषण देता है। यह स्वस्थ चमकदार त्वचा प्रदान करता है जो हर कोई चाहता है। गिलोय कुष्ठ सहित विभिन्न त्वचा संक्रमणों (Skin infections) से लड़ने में भी मदद करता है।
गिलोय फेस पैक
आप त्वचा में पिम्पल्स, काले धब्बे आदि परेशानियों से लड़ने के लिए गिलोय को सीधा अपनी त्वचा पर भी लगा सकते है। गिलोय फेस पैक बनाने के लिए आधा से एक चम्मच गिलोय पाउडर को गुलाब जल के साथ अच्छी तरह से मिलाकर पेस्ट बना ले। अब इस पेस्ट को अपने फेस पर लगा कर ५-१० मिनट तक ऐसे ही छोड़ दे। बाद में चेहरे को पानी की मदद से अच्छी तरह से साफ़ करले।
4. एंटी-एजिंग – Anti aging
गिलोय आयुर्वेद में वर्णित रसायणो (Anti-aging agents) में से एक है। इसमें बहुत सारे एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidants) और अन्य आवश्यक फाइटोकेमिकल्स होते हैं जो अपार एंटी-एजिंग गुणों को प्रदर्शित करते हैं। यह उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा करता है और दीर्घायु प्रदान करता है। यह त्वचा के ऊतकों को पुनर्जीवित करता है और मृत त्वचा कोशिकाओं को एक्सफोलिएट करता है।
5. स्मृति बढ़ाने वाला – Memory Enhancer

गिलोय आयुर्वेद में वर्णित मेध्य रसायण (Memory & learning enhancers) में से एक है। बच्चों में गिलोय का सेवन उनके आईक्यू लेवल (IQ level) को बढ़ाने के लिए किया जाता है और यह बच्चे के संपूर्ण मानसिक विकास में भी मदद करता है। गिलोय का सेवन छात्रों और बच्चों को अपनी मेमरी पावर बढ़ाने के लिए जरूर करना चाहिए।
गिलोय में Anti-stressing गुण पाए जाते है जो तनाव को दूर करते है। यह एक व्यक्ति की मौखिक सीखने और तार्किक क्षमता को बढ़ाता है।
6. श्वसन में लाभदायक – Beneficial in respiratory illness

गिलोय एंटी-एलर्जिक (Anti-allergic) और एंटी-इंफ्लेमेटरी (Anti-inflammatory) गुणों को प्रदर्शित करता है जो अस्थमा जैसी सांस की बीमारियों से पीड़ित रोगियों के लिए फायदेमंद होते हैं। गिलोय का जूस पुरानी खांसी के इलाज के लिए भी उपयोग किया जाता है। गिलोय के एंटी- इंफ्लेमेटरी गुण ऊपरी श्वसन मार्ग में सूजन को कम करते हैं और बेहतर वेंटिलेशन में सहायक होते हैं। ऐसे विकारों से पीड़ित लोगों को गिलोय का सेवन अक्सर करना चाहिए।
इसके एंटी एलर्जिक गुणों के कारण रोजाना गिलोय की जड़ों को चबाने से अस्थमा के रोगियों में लाभ होता है।
7. पाचन – Digestion

आयुर्वेद के अनुसार, अधिकांश बीमारियाँ भोजन के अनुचित या आंशिक पाचन के कारण होती हैं। इसलिए हमारे पाचन तंत्र का अत्यधिक ध्यान रखना बहुत जरूरी है। गिलोय भोजन के उचित पाचन में मदद करता है और आंत्र संबंधी विकारों से हमें बचाता है। गिलोय का रस 1-2 चम्मच छाछ के साथ लेना चाहिए। यह जठरांत्र संबंधी मार्ग को साफ करने में मदद करता है और शरीर से विषाक्त (Toxins) पदार्थों को निकालता है।
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8. बुखार – Fever
गिलोय के एंटीपायरेटिक गुणों के कारण कई जीर्ण ज्वर विशेष रूप से डेंगू, स्वाइन फ्लू और मलेरिया ठीक होता है। पुराने गिलोय के तनों से बने काढ़े का उपयोग प्राचीन काल में आवधिक बुखार (Periodic Fever) के इलाज के लिए किया जाता था। गिलोय के पत्तों का रस शहद के साथ लेने से हर तरह के बुखार में लाभ होता है।
9. आर्थराइटिस (गठिया) – Arthritis

गिलोय अपने सूजन-रोध (Anti-inflammatory) गुणों के कारण गठिया जैसे भड़काऊ विकारों के इलाज में भी लाभकारी पाया जाता है। यह जोड़ों के दर्द को कम करने में मदद करता है और राहत देता है। दूध के साथ उबले हुए गिलोय के तने का पाउडर जोड़ों के दर्द में लाभकारी पाया जाता है।
10. मोटापे में लाभदायक – Beneficial in Obesity
आजकल अनुचित आहार विहार और शहरी जीवन शैली की वजह से मोटापा आम परिस्थिति बनता जा रहा है। गिलोय के जूस के सेवन से पाचन में सुधार होता है और मेटाबोलिज्म (Metabolism) में वृद्धि होती है, जिसके परिणामस्वरूप वजन कम होता है। 1-2 चम्मच गिलोय का रस शहद के साथ रोज सुबह खाली पेट लेना चाहिए।
गिलोय को अपने दैनिक आहार में कैसे लें? – Make Giloy as your Daily Habit
जैसा कि हम जानते हैं कि गिलोय के कई चमत्कारी फायदे हैं, हमें इसे अपने दैनिक आहार में शामिल करने की कोशिश करनी चाहिए। गिलोय को हमारे दैनिक आहार में कई तरीकों से शामिल किया जा सकता है, जिसमें से कुछ नीचे वर्णित हैं।
डेली हेल्थ टॉनिक – Daily Health Tonic
मिक्सर ग्राइंडर में, गिलोय के कुछ तने लें और उन्हें पानी के साथ अच्छी तरह से मथ लें। अब इसमें स्वाद बढ़ाने के लिए आंवला जूस, अदरक और काला नमक मिलाएं। इस टॉनिक का रोजाना सेवन किया जा सकता है, और यह स्वास्थ्य के लिए एकदम सही है।
गिलोय काढ़ा – Giloy Decoction

एक उंगली लंबी ताजा गिलोय का तना लें और इसे पानी से अच्छी तरह धो लें। अब इसे 2 कप पानी के साथ तब तक उबालें जब तक कि मात्रा आधी न हो जाए। गुनगुना होने पर इस काढ़े को पिएं। अदरक और काली मिर्च जैसी अन्य इम्युनिटी बढ़ाने वाली औषधियों को भी इस तरह के काढ़े में डाला जा सकता है। आप गिलोय के लाभों का आनंद लेने के लिए अपनी दैनिक चाय में गिलोय के तने या पत्तियों को भी मिला सकते हैं।
गिलोय पत्तियां – Giloy Leaves

ताजे गिलोय के पत्तों को शरीर को पूर्ण रूप से स्वस्थ रखने के लिए रोजाना चबाया जा सकता है क्योंकि इसके औषधीय गुणों की एक विस्तृत श्रृंखला है।
गिलोय आयुर्वेदिक स्टोर में रेडीमेड टैबलेट, पाउडर और जूस के रूप में भी उपलब्ध है। आवश्यकता के अनुसार या आपके आयुर्वेदिक चिकित्सक के निर्देशानुसार इनका प्रतिदिन सेवन किया जा सकता है।
गिलोय के दुष्प्रभाव – Side Effects of Giloy
गिलोय के अत्यधिक या फिर अनुचित सेवन से कई साइड इफेक्ट्स जैसे की लो ब्लड शुगर, एलर्जी, कब्ज, जलन, आदि देखने को मिल सकते है। इसका सेवन करने से पहले हमेशा अपने संबंधित आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह अवश्य लेनी चाहिए। गिलोय के निम्नलिखित साइड इफेक्ट्स देखने को मिल सकते है:
लो ब्लड शुगर
डायबिटीज के मरीजों को गिलोय का सेवन आयुर्वेद चिकित्सकों की निगरानी में ही करना चाहिए क्योंकि गिलोय एक तेज़ Hypo-glycemic औषधि है। अगर इसका इस्तेमाल एलोपैथिक मेडिसिन के साथ किया जाता है तो शरीर में शुगर की मात्रा सामान्य से भी कम हो सकती है।
गर्भित महिलाएं एवं माताए
गिलोय एक बहुत ही उष्ण औषधि है इसीलिए गर्भित महिलाओं को इसका सेवन नहीं करना चाहिए। स्तनपान कराने वाली माताओं को भी इसका इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। आपातकालीन परिस्थिति में हमेशा अपने आयुर्वेदिक चिकित्सक की सलाह ले।
एलर्जी या फिर हाइपर सेंसिटिविटी
गिलोय के उष्ण वीर्य की वजह से कई लोगों में एलर्जी देखने को मिल सकती है। अगर आपकी त्वचा हाइपर सेंसिटिव है या गिलोय लगाने पर त्वचा में जलन या खुजली महसूस हो तो उसका उपयोग तुरंत रोक दे।
Reference-
2020, easy ways to include giloy in your daily diet, patanjali